Solar Mission Aditya L1 Updates: सूरज की ओर पहली छलांग से ही अमेरिका-चीन को भारत ने पीछे छोड़ दिया है, क्योंकि वो चंद्रयान-3 की तरह यह भी सूर्य के वायुमंडल के ऐसे क्षेत्र में पहुंचेगा, जहां पहले कोई भी नहीं पहुंचा है. भारत का सूर्य मिशन आदित्य-एल1 लैंग्रेजियन बिंदु 1 (एल1) पर ठहरेगा. धरती से 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर इस प्वाइंट तक पहुंचने में करीब 4 महीने का समय लगेगा. आदित्य-एल1 सूर्य की सतह और उसकी किरणों का अध्ययन करने वाला सौर मिशन है. चंद्रयान-3 के बाद इसरो ने अंतरिक्ष वेधशाला श्रेणी का भारतीय सौर मिशन तैयार किया है. इस यान को सूर्य पृथ्वी के बीच लैग्रेंजियन बिंदु 1 के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी दूर स्थापित किया जाएगा. 


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Aditya L1 launch ISRO LIVE Update: 'आदित्य- एल 1' लांच, चंद्रयान के बाद भारत की एक और कामयाबी


अमेरिका का मिशन सोलर
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 2018 अगस्त में पार्कर सोलर प्रोब लांच किया था. दिसंबर 2021 तक पार्कर ने सूर्य के ऊपरी वायुमंडल कोरोना, उसके कणों और चुंबकीय क्षेत्रों की अहम जानकारी हासिल की. यह पहली बार था जब किसी अंतरिक्ष यान ने सूर्य को स्पर्श किया था.


यूरोप का सोलर मिशन
नासा ने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) संग सोलर ऑर्बिटर फरवरी 2020 में भेजा था, ताकि सूर्य ने पूरे सौर मंडल में लगातार बदलते अंतरिक्ष वातावरण को कैसे बनाया और कैसे संभाला, यह पता लगाया जा सके.


जापान का सौर मिशन
जापानी एयरोस्पेस एक्स्प्लोरेशन एजेंसी (JAXA) ने 1981 में पहला सौर यान हिनोटोरी (ASTRO-A) लांच किया था. इससे एक्सरे से सौर ज्वाला का अध्ययन किया. JAXA ने 1991 में योहकोह (SOLAR-A), 1995 में अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ सोहो और 1998 में NASA के साथ ट्रांजिट रीजन और कोरोनल एक्सप्लोरर (TRACE)को लांच किया था. उसने 2006 में हिनोड सोलर मिशन लांच किया था.


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यूरोप का महामिशन
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ईएसए ने सूर्य के सुदूर ध्रुव के ऊपर और नीचे अंतरिक्ष के वातावरण के अध्ययन के लिए यूलिसिस लांच किया था. NASA और JAXA साथ ESA ने अक्तूबर 2001 में Proba 2 भेजा था. प्रोबा-2 ने सूर्य की सतह के बारे में अहम जानकारियां जुटाईं.


चीन भी पीछे नहीं
चीन ने स्पेस सोलर आर्ब्जवेटरी को 8 अक्तूबर 2022 को राष्ट्रीय अंतरिक्ष विज्ञान केंद्र चीनी विज्ञान अकादमी से लांच किया था. चीन ने अंतरिक्ष में अपना स्टेशन स्थापित करने के साथ साथ अंतरिक्षयात्री को कई बार स्पेस में भेजा है.


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