लखनऊ: सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर आए दिन न जाने कितने युवाओं के साथ ठगी हो रही है. नौकरी दिलाने का झांसा देकर जालसाज करोड़ों की ठगी को अंजाम देते हैं. ताजा मामला राजधानी लखनऊ का है जहां जालसाजों के एक ऐसे ही गिरोह ने करोड़ों की ठगी की है. आज हम आपको बताएंगे कि इन जालसाजों के झांसे में आने से कैसे बचा जा सकता है.


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मामला लखनऊ के मड़ियांव थाना क्षेत्र का है. जहां बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग में नौकरी दिलाने के नाम पर 22 बेरोजगारों से जालसाजों ने 1 करोड़ 62 लाख रुपयों की ठगी को अंजाम दिया है. जालसाजों ने बेरोजगारों को बाकायदा विभाग में जॉइनिंग का फर्जी नियुक्ति पत्र भी थमा दिया. मामले की जानकरी पुलिस को मिलने पर कल्याण एवं ग्रामोद्योग सेवा संस्थान के अध्य्क्ष समेत 23 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है. युवाओं के साथ ठगी का का यह कोई नया मामला नहीं है. इससे पहले भी कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां युवाओं को नौकरी दिलाने के नाम पर जालसाजी को अंजाम दिया गया है.


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झांसे में लेने के लिए करते हैं इन लुभावनी चीजों का इस्तेमाल
जालसाज अखबारों में अखबारों में विज्ञापन देकर सरकारी नौकरियां दिलाने का दावा करते हैं.
मैसेज के जरिए बार-बार ऑफर भेजकर ललचाने की कोशिश करते हैं.
कॉल करके सरकारी नौकरियां दिलाने का सपना दिखाते हैं.
झूठे ऑफर भेजकर इंटरव्यू के लिए बुलाते हैं.
जालसाजों ने सोशल मीडिया को भी इसके लिए अपना हथियार बनाया है. जहां फर्जी जॉब के मैसेज भेजकर नौकरी दिलाने की बात करते हैं.


नौकरी दिलाने के नाम पर किनको बनाते हैं आसानी से शिकार
जालसाजों का सीधा शिकार ज्यादातर कम पढ़े-लिखे और स्कूली शिक्षा अधूरी छोड़ने वाले बेरोजगार युवा होते हैं. 
गांव से शहरों में नए-नए आने वाले युवाओं को.
प्लेसमेंट एजेंसियों में आने-जाने वाले और इनमें रोजगार के लिए रजिस्टर्ड युवा.
सोशल वेबसाइट्स पर अपनी पर्सनल डिटेल्स शेयर करने वाले लोग.
प्राइवेट नौकरी करने वाले ऐसे लोग, जो सरकारी नौकरी करना चाहते हैं. 
पढ़ी-लिखी हाउस वाइव्स, जिनकी करियर बनाने में गहरी दिलचस्पी हो.


कैसे करें इन जालसाजों की पहचान
जालसाज नौकरी दिलाने के नाम पर अगर किसी तरह के सर्विस चार्ज, कमीशन की बात करे तो साफ शब्दों में पूछें कि किस बात के पैसे मांग रहे हैं? अगर प्लेसमेंट एजेंसी के नाम पर पैसा मांग रहे हैं तो साफ कहें कि नौकरी मिलने के बाद जब सैलरी मिलेगी, उससे कमीशन या फीस दे दी जाएगी. उससे पहले एडवांस में पैसे नहीं दें. अगर सही ऑफर होगा तो वह आपकी पहली सैलरी का इंतजार कर सकते हैं. सरकारी नौकरी दिलाने का भरोसा फर्जी होता है, क्योंकि सरकारी विभागों के खाली पदों को भरने के लिए पूरी प्रक्रिया का अच्छी तरह पालन किया जाता है. शॉर्ट-कट से नौकरी मिलने का सवाल ही नहीं पैदा होता. नौकरी के नाम पर तुरंत हड़बड़ी में आने की बजाय आप संबंधित सरकारी विभाग से सीधे संपर्क करें और दावों की सच्चाई पता करें. फोन नंबर या पता विभागों की वेबसाइट्स से आसानी से मिल जाता है.


क्या करें, क्या न करें
ऐसे फ्रॉड में फंसने की शुरुआत जॉब पाने के लिए बैकडोर एंट्री के लालच से ही होती है. किसी भी तरह अच्छी नौकरी जुगाड़ने की मानसिकता को चालबाज भुना लेते हैं, इसलिए शॉर्ट-कट की बजाय हमेशा अपनी क्वॉलिफिकेशन और क्षमता के अनुसार तय प्रक्रिया को अपनाते हुए जॉब पाने की कोशिश करनी चाहिए. अप्लाई करते वक्त कन्फ्यूजन की स्थिति में दलालों और बिचौलियों से मदद लेने के बजाए सीधे संबंधित विभागों के अधिकारियों से आधिकारिक जानकारियां हासिल करनी चाहिए. अपने बारे में ज्यादा जानकारियां किसी अजनबी को देने की आदत को बदल लेना ही समझदारी है. बाद में इन्हीं सूचनाओं का इस्तेमाल कर ठगा जाता है. किसी पर भी फौरन भरोसा कर लेना खतरे से खाली नहीं होता. जाने-अनजाने ऐसी गलती कर बैठना अक्सर महंगा सौदा साबित होता है.


कैसे बचें
जो लोग आपको ऐसे ऑफर्स दे रहे हों, उनकी पहचान जानने के लिए आई-कार्ड या दूसरे रेजिडेंशल प्रूफ की कॉपी मांगें.
हमेशा ऐसी कंपनियों में काम करने वाले लोगों से बात करें. कंपनी के ऑफिस में जाकर अधिकारियों से मिलने की बात पर जोर दें.
अपने सोर्सेज के जरिए कंपनी के बारे में जानकारियां हासिल करने की कोशिश करें.
बिना आधिकारिक ईमेल और लेटरहेड के ऑपरेट करने वाली कंपनियों पर भरोसा न करें.
अगर विदेशी कंपनियों से ऑफर का मामला हो तो संबंधित देश की एंबेसी से संपर्क कर असलियत जानने की कोशिश करें.
शक होने पर तुरंत पुलिस से संपर्क कर करें.


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