Hardoi: यूट्यूब देख अधेड़ ने देसी जुगाड़ से बना दी ई-साइकिल, सड़क से गुजरते ही देखने वालों की लग जाती भीड़
Hardoi News: हरदोई के रहने वाले एक शख्स ने मेहनत और लगन के चलते ई साइकिल तैयार कर दी. जो शहर से लेकर गांव तक में चर्चा का विषय बनी हुई है. सड़क पर निकलते ही इसको देखने वालों की भीड़ लग जाती है.
आशीष द्विवेदी/हरदोई: कहते हैं कि जहां चाह, वहां राह, इसी कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है हरदोई के रहने वाले अधेड़ उम्र के शख्स ने. उन्होंने अपनी मेहनत और लगन के चलते ई साइकिल तैयार कर दी. शफीक की मेहनत व लगन से इलेक्ट्रिक साइकिल बनकर तैयार हो गई है जो कि शहर से लेकर गांव तक में चर्चा का विषय बनी हुई है.
ऐसे आया ई-साइकिल बनाने का ख्याल
हरदोई के रहने वाले शफीक ने पेट्रोल के बढ़ते दामों से परेशान होकर एक साइकिल खरीदी थी लेकिन बढ़ती उम्र के साथ साइकिल में पैडल मारना भी मुश्किलों भरा हो रहा था. तभी शफीक के दिमाग में आया कि क्यों ना एक इलेक्ट्रिक साइकिल बनाई जाए. जिसके बाद शफीक ने नई इलेक्ट्रिक साइकिल के निर्माण के लिए समान जुटाना शुरू कर दिया. समान आने के बाद ई-साइकिल को बनाकर तैयार कर दिया.
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सड़क पर निकलते ही देखने वालों की लग जाती है भीड़
यह साइकिल अन्य की अपेक्षा में काफी तेज चलती है. इसमें एक मोटर भी फिट है, साथ ही इस इलेक्ट्रिक साइकिल में एक लिथियम बैटरी को भी लगाया गया है. सफीक जब इलेक्ट्रिक साइकिल लेकर सड़कों से निकलते हैं तो हर कोई शफीक को देखकर दंग रह जाता है।शफीक जहां रुक जाते हैं वहां लोगों की भीड़ लग जाती है. लोग इलेक्ट्रिक साइकिल को लेकर जानकारियां शफीक से लेते हैं.
यूट्यूब से सीखा साइकिल बनाने का तरीका
शफ़ीक़ ने बताया कि उन्होंने इलेक्ट्रिक साइकिल के बारे में सुना था. जिसके बाद उनके द्वारा यूट्यूब पर देखकर इलेक्ट्रिक साइकिल को बनाने में प्रयोग होने वाली वस्तुओं को देखा. साथ ही निर्माण का तरीका भी जाना. इलेक्ट्रिक साइकिल के निर्माण के लिए मध्य प्रदेश से लिथियम बैट्री व मोटर को मंगाया गया था. जिसके बाद शफीक द्वारा स्वयं से लिथियम बैटरी और मोटर का प्रयोग कर e-cycle का निर्माण कर दिया.
25 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार, चार्जिंग पर करती है 30 किलोमीटर की यात्रा
शफीक बताते हैं कि उनकी यह इलेक्ट्रिक साइकिल लगभग 30 किलोमीटर चलती है. इसकी स्पीड लगभग 25 किलोमीटर प्रति घंटे की है. इलेक्ट्रिक साइकिल के निर्माण के लिए शफीक को लगभग 25000 रुपए खर्च करने पड़े. इलेक्ट्रिक साइकिल बनने के बाद उनको अब शहर से गांव गांव से शहर आने जाने में किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ता है. इस इलेक्ट्रिक साइकिल में सॉकर ना होने की वजह से किसी दूसरे व्यक्ति को इस पर नहीं बैठा सकते हैं.