यूपी-बिहार के मजदूरों की नो एंट्री, पंजाब के गांवों में जारी फरमान पर हाईकोर्ट ने मान सरकार की लगाई क्लास
UP News: पंजाब के मोहाली यूपी बिहार के मजदूरों की नो एंट्री का मुद्दा पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट पहुंच गया है. हाईकोर्ट ने इसे नागरिक अधिकार का हनन बताते हुए पंजाब सरकार से जवाब तलब किया है मामले में अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी.
UP Trending News: उत्तर प्रदेश और बिहार के मजदूर अक्सर अपने परिवार का भरण पोषण और रुपया कमाने के लिए दिल्ली, महाराष्ट्र और पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में काम करने के लिए जाते हैं, लेकिन पंजाब के मोहाली के ग्रामीण क्षेत्रों ने यूपी बिहारी के प्रवासी मजूदरों की अपने गांवों में नो एंट्री कर दी है. दरअसल पंजाब के मोहाली जिले में स्थित गांव मुद्दू संगतियां में एक विवादित प्रस्ताव पारित किया. इसमें गांव में रह रहे प्रवासी मजूदरों को गांव छोड़ने का फरमान सुनाया गया. प्रस्ताव के मुताबिक कोई भी गांव में प्रवासियों को रहने के लिए जगह नहीं देगा.
पंजाब के ग्रामीणों का तर्क
यूपी, बिहार के लोगों को गांव से बाहर जाने के फरमान के पीछे ये तर्क दिया गया कि प्रवासी लोगों के रहने के कारण इलाके में आपराधिक और असामाजिक गतिविधियां बढ़ती जा रही हैं. कुछ आपराधिक घटनाओं में प्रवासी लोगों को संलिप्तता पाई गई थी. ऐसे में गांव वालों ने मजबूरी प्रस्ताव पास किया. प्रस्ताव में कहा गया कि प्रवासी मजूदरों वजह से आने वाली पीढ़ी पर गलत प्रभाव पड़ रहा है. गांव में किसको रहना है और किसको नहीं, इसका फैसला करना पंचायत का अधिकार क्षेत्र है. इसी कारण ग्रामीणों ने मिलकर इस तरह का फैसला लिया है
ग्रामीणों के समरथन में लक्खा सिधाना
जब मामले ने तूल पकड़ा तो जिला प्रशासन व पुलिस भी एक्टिव हो गई थी. पुलिस ने इस मामले में पंचायत से पड़ताल शुरू की तो ग्रामीणों के पक्ष में लक्खा सिधाना गांव में पहुंच गए. उन्होंने ग्रामीणों के इस फैसले की सराहना की है. उन्होंने कहा कि पूरे पंजाब में यह लोग आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देकर फरार हो जाते हैं. पंजाब की सभी पंचायतों को इस तरह का फैसला लेना चाहिए.
हाईकोर्ट पहुंचा मामला
एडवोकेट वैभव वत्स की ओर से पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में इस संबंध में याचिका दायर की गई. पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एडवोकेट वैभव वत्स की याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब की मान सरकार की क्लास लगा दी और सरकार से जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी. कोर्ट ने कहा कि संविधान हर नागरिक को अपनी पसंद की जगह पर रहने का अधिकार देता है। इसी बीच प्रवासियों को गांव छोड़ने का आदेश देना उनके अधिकारों का हनन है.
पुलिस कर रही मामले की जांच
बताया जा गांव के सरपंच इस पर सहमत नहीं थे. यह जानकारी पुलिस ने अपनी जांच पड़ताल के बाद दी है. पुलिस ने मामले की पड़ताल की. डीएसपी धर्मवीर सिंह ने बताया था कि गांव के मौजूदा सरपंच से बात हुई है. उनका कहना है कि गांव में कोई भी व्यक्ति आकर रह सकता है. इसमें किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है.
इस मुद्दे पर सरपंच ने कहा था कि उन्हें इस बारे में एक अगस्त को जानकारी मिली, वह इसके हक में नहीं थे.
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