श्याम तिवारी/कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर में कोरोना के मामलों में बहुत तेजी से कमी आ रही है. मामले अब सिंगल डिजिट में रह गए हैं. लेकिन अब वायरल फीवर ने कहर ढाना शुरू कर दिया है. वायरल फीवर से संक्रमित लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. अस्पतालों में मरीजों की भारी भीड़ पहुंच रही है. आलम यह है कि वह ओपीडी में दिखाने के लिए मरीजों की लंबी-लंबी लाइनें लग रही हैं. वहीं, हैलट अस्पताल के मेडिसिन विभाग के सभी बेड फुल हो चुके हैं. जिसके चलते एक एक बेड पर दो-दो मरीजों का इलाज चल रहा है. वहीं, बेड ना मिलने पर लोगों को जमीन पर लिटा कर भी उनका इलाज किया जा रहा है.


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सभी अस्पताल मरीजों से भरे
वायरल से संक्रमित लोगों की बढ़ रही संख्या को देखते हुए हैलट अस्पताल में 18 बेड बढ़ाए गए हैं. अधिक मरीजों का इलाज हो सके इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्थाएं भी की जा रही हैं. इसी तरह उर्सला और अन्य सरकारी अस्पतालों में भी सभी बेड फुल हो चुके हैं. वहीं, शहर में मलेरिया, और डेंगू का खतरा मंडरा रहा है. इसके चलते स्वास्थ्य विभाग भी सचेत हो गया है.


स्ट्रेचर, बेड, ट्रॉली भी पड़ रहे कम
हैलट अस्पताल के इमरजेंसी वॉर्ड में 300 मरीज ऐसे हैं जो वायरल फीवर से संक्रमित हैं. अस्पताल मरीजों की बढ़ रही संख्या को देखते हुए वैकल्पिक व्यवस्थाएं करने में जुटे हुए हैं. आलम यह है कि इमरजेंसी में हालात ओपीडी जैसे नजर आने लगे हैं. मरीजों के लिए स्ट्रेचर, बेड और ट्रॉली कम पड़ने लगे हैं. अस्पतालों में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने के चलते उनकी हालात को सामान्य करके उन्हें घर भेजा जा रहा है. साथ ही लोगों को घर में रहकर ही दवा करने की सलाह दी जा रही है. हैलट अस्पताल के 4 वॉर्डों की हालत यह है कि अधिकतर बेड में दो-दो मरीजों का इलाज चल रहा है. 


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कोरोनावायरस मरीजों के लिए बेड रखे गए हैं रिजर्व
कोरोना की तीसरी वेव की आशंका के चलते हैलट अस्पताल में 400 बेड कोरोना पेशेंट के लिए रिजर्व करके रखे गए हैं. इनमें सामान्य फ्लू और वायरल के मरीजों को भर्ती नहीं किया जा सकता. जिस तरीके से लगातार वायरल फीवर के मरीज बढ़ रहे हैं, उसको देखते हुए हैलट अस्पताल प्रशासन अब न्यूरो कोविड अस्पताल के एक फ्लोर को इन मरीजों के लिए खोलने की तैयारी कर रहा है. जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की वाइस प्रिंसिपल रिचा गिरी का कहना है कि मेडिकल कॉलेज अधिक से अधिक मरीजों का इलाज करने के लिए तत्पर है. जिसके चलते अभी तक 18 बेड दूसरे वॉर्ड से मैनेज कर बढ़ाए जा चुके हैं. वहीं, अन्य वैकल्पिक व्यवस्थाओं के बारे में भी विचार किया जा रहा है.


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