नई दिल्ली: केला (Banana) एक ऐसा फल है, जो आपको एनर्जी तो देता ही है, साथ-साथ हैप्पी हॉर्मोंस बढ़ाने में भी मदद करता है. केले का कोई सीजन भी नहीं होता. हर मौसम में आप इसके मजे ले सकते हैं. लेकिन कभी केले को देखकर आपके दिमाग में यह ख्याल आया है कि वह हमेशा टेढ़ा ही क्यों होता है? कभी सीधा क्यों नहीं होता? अगर नहीं सोचा तो अब सोच लीजिए और अगर जवाब समझ न आए तो पढ़ लीजिए यह खबर...


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पहले तो सीधा ही उगता है केला
दरअसल, केले के घुमावदार आकार के पीछे के बहुत बड़ा साइंटिफिक रीजन है. केले के फल जब जन्म लेना शुरू करता है तो वह एक गुच्छे में लगता है. केले के गुच्छे तो सबने ही देखे होंगे. यह एक कली जैसी होती है, जिसमें हर पत्ते के नीचे केले का एक गुच्छा होता है. इसे देसी भाषा में गैल कहा जाता है. इस समय केला नीचे की ओर बढ़ना शुरू करता है (मतलब सीधा बढ़ता है).


केले के आकार की यह है वजह
लेकिन एक साइंटिफिक कॉन्सेप्ट है Negative Geotropism, जिसके बारे में आपने शायद सुना हो. यह थ्योरी बताती है के कुछ पेड़ ऐसे होते हैं जो सूरज की तरफ बढ़ते हैं (सूरजमुखी भी इसी का उदाहरण है). केले के पेड़ की प्रवृत्ति भी यही है. ऐसे में केला बाद में ऊपर की तरफ बढ़ने लगता है. यही वजह है कि इसका आकार टेढ़ा हो जाता है. 


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रेनफॉरेस्ट के सेंटर में मिले थे केले के पेड़
बॉटनिकल हिस्ट्री के अनुसार, केले के पेड़ सबसे पहले रेनफॉरेस्ट के सेंटर में पाए गए थे. जाहिर है रेनफॉरेस्ट में सूरज की रोशनी बहुत कम पहुंचती है. ऐसे में केले के पेड़ों ने उस तरह से ग्रो करना सीख लिया था. इसलिए जब भी उन्हें सनलाइट मिलती, केले सूरज की तरफ बढ़ने लगते. इसलिए पहले जमीन की तरफ और फिर बाद में आसमान की तरफ बढ़ने से केले का आकार टेढ़ा हो गया.


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