Nag Panchami 2024: आज दुर्लभ योग में नागपंचमी, नोट कर लें बस इतने घंटे का है पूजा का शुभ मुहूर्त
Nag Panchami 2024: सावन माह में भगवान शिव की कृपा के लिए नाग पंचमी का बहुत अधिक महत्व माना जाता है. इस दिन भगवान शिव के साथ नाग देवता की पूजा करना विशेष लाभदायक होता है. आज खास दुर्लभ योग बन रहे हैं.
Nag Panchami 2024: सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है. आज नागपंचमी का पर्व मनाया जा रहा है. इस दिन नागों की पूजा की जाती है. नाग पंचमी पर 500 साल बाद पांच दुर्लभ योग बन रहे हैं, जो विशेष पुण्य फलदायी साबित होंगे. इस दिन भगवान शिव के गले में वास करने वाले नाग देवता की पूजा करके उनका आशीर्वाद लिया जाता है. इस दिन पूजा करने से शिव जी के साथ-साथ नाग देवता की भी कृपा मिलेगी. जानते हैं कि, नाग पंचमी के दिन पूजा का शुभ-मुहूर्त कब से कब तक रहेगा.
बन रहे ये योग
नाग पंचमी पर शुक्र और बुध मिलकर लक्ष्मी नारायण योग, शनि के अपनी राशि कुंभ में विचरण से शश योग, चंद्रमा के कन्या राशि में होने और राहु के साथ समसप्तक योग बन रहा है. पंचांग के मुताबिक शुभ और सिद्धि योग भी बनेगा. 5 राजयोग 500 साल बाद बन रहे हैं. नागपंचमी के दिन शिव के पूजन से भक्तों के बिगड़े काम बनेंगे.
नाग पंचमी शुभ मुहूर्त (Nag Panchami 2024 Date And Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का आरंभ 8 अगस्त की देर रात को 12 बजकर 36 मिनट पर होगा, यानी 9 अगस्त को 00:36 मिनट पर इसका समापन अगले दिन 10 अगस्त को देर रात 3 बजकर 14 मिनट पर होगा. इसलिए इस साल 9 अगस्त को नाग पंचमी का पर्व मनाया जायेगा.
पूजा के दौरान करें इन मंत्रों का जाप
ॐ नगपति नम:
ॐ अहि नम:
ॐ व्याल नम:
ॐ शैल नम:
ॐ भूधर नम:
ॐ विषधर नम:
नाग पंचमी पूजा विधि ( Nag Panchami 2024 Puja Vidhi)
नागपंचमी के दिन सुबह जल्दी उठें और की साफ सफाई करें और फिर स्नान करके साफ कपड़े धारण करें. इसके बाद घर के दरवाजे पर या पूजास्थल पर गेरू, गाय के गोबर या मिट्टी से नाग के चित्र-तस्वीर बनाएं.व्रत का संकल्प लें. अब नाग देवता का ध्यान करें और उन प्रतीकात्मक नागों के चित्र के सामने धूप और दीपक जलाएं. बनाए गए नाग देवता के चित्र को जल, फूल और चंदन का अर्घ्य दें. इसके बाद कुमकुम, अबीर, गुलाल, चंदन, हल्दी,फूल, बिल्वपत्र, मेंहदी आदि चढ़ाएं और भोग लगाएं और मंत्रों का जाप करें. पूजा का समापन आरती से करें. पूजा पाठ के दौरान हुई किसी भी गलती के लिए नाग देवता का स्मरण करके उनसे क्षमा मांगें.
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