महापरिनिर्वाण दिवस 2023: बाबा साहब के ये विचार आज भी युवाओं में भरते हैं जोश, `इतिहास को भूलने वाले इतिहास नहीं नहीं बना सकते`

BR Ambedkar death anniversary 2023: भारत में हर साल 6 दिसंबर को डॉ. अंबेडकर की पुण्यतिथी के रूप में मनाई जाती है. उनकी याद में महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है. समाज में व्याप्त छूछाछूत, दिलितों के उत्थान, महिलाओं और मजदूरों से भेदभाव जैसी कुरीति के खिलाफ अवाज बुलंद करने वाला बाबा साहब को भारतीय संविधान का स्तंभ माना जाता है.

Dec 06, 2023, 13:20 PM IST
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संविधान का मसौदा

आजादी के बाद भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने वाले 7 सदस्यों की कमेटी के के चेयरमैन थे. बाबा साहब ने संविधान के माध्यम से इस देश को समानता, समरसता और बंधुत्व के भावना में पिरोना चाहते थे.

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पहले भारतीय

डॉ. अंबेडकर विदेश जाकर अर्थशास्त्र की डिग्री लेने वाले पहले भारतीय है. अबेडकर जब विदेश से डिग्री लेकर भारत आए, तो उन्हें साल 1926 में पहली बार मुंबई विधान सभा का सदस्य चुना गया था.

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पुण्यतिथी

डॉ. अंबेडकर की पुण्यतिथी को महापरिनिर्वाण क्यो कहते हैं. उनके अनुनायियों का मानना है कि डॉ अंबेडकर बड़े समाज सुधारक और विद्वान थे. उन्होंने अपना सर्वस्व जीवन दलित उत्थान के लिए अर्पित कर दिया था. इनके अनुनायियों का मानना है कि उनके गुरु भगवान बुद्ध की तरह ही काफी सदाचारी थे.

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निर्वाण

डॉ. अंबेडकर अपने महान कार्य व सदाचारी जीवन की वजह से निर्वाण प्राप्त कर चुके हैं. यही वजह है कि उनकी पुण्यतिथी को महापरिनिर्वाण दिवस के तौर पर मनाया जाता है.

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कुछेक महान विद्वानों में से एक

बीआर अंबेडकर अपने समय के सबसे ज्यादा पढ़े लिखे कुछेक महान विद्वानों में से एक थे. उनके पास अलग- अलग 32 डिग्रीयां थी. वह अकेले दलित छात्र थे. जिन्होंने विदेश जाकर लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से एमएससी, डीएससी किया थे.

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किताबों के शौकीन

डॉ अंबेडकर को पढ़ने का खूब शौक था. उनके पास किताबों व बेहतरीन संग्रह था. जॉन गुंथेर ने इनसाइड एशिया में लिखा है कि 1938 में अंबेडकर के पास 8000 किताबें थी. उनकी मृत्यु के समय वह 35000 हो गई थी.

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मंत्रिमंडल से इस्तीफा

सन् 1951 में उन्होंने हिंदू कोड बिल संसद में पेश किया था. डॉ. अंबेडकर का मानना था कि सही मायने में प्रजातंत्र तब आएगा जब महिलाओं को पैतृक संपत्ति में बराबरी का हिस्सा मिलेगा. उन्हें पुरुषों के समान अधिकार दिए जाएंगे. इसे रोके जाने के बाद डॉ. अंबेडकर ने मंत्रिमंडल से अपना इस्तीफा दे दिया था.

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