एक बार हिंदू-मुस्लिम के हिसाब से तय हुआ था राष्ट्रीय ध्वज का रंग, जानें तिरंगा यात्रा की पूरी कहानी
हमारे राष्ट्रीय ध्वज बनने में इस तिरंगे ने काफी लंबी यात्रा की है. साथ ही यह इस तिरंगे में भी काफी परिवर्तन भी हुए. आजाद भारत में तो इसे ही राष्ट्रीय ध्वज बनाया गया, लेकिन अंग्रेजों के वक्त अलग तिरंगे फहराए गए थे.
Independence Day 2024
स्वतंत्रता दिवस हमारे देश का राष्ट्रीय पर्व है. देशभर में 15 अगस्त पर आयोजित होने वाले स्वतंत्रता दिवस की चमक दिख रही है. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में स्वतंत्रता दिवस मनाने को लेकर उत्साह है.
ध्वजारोहण
लाल किले से लेकर हर छोटे-बड़े सरकारी और प्राइवेट ऑफिस, सोसाइटी, स्कूल्स आदि जगहों पर ध्वजारोहण अवश्य होता है. देश के प्रधानमंत्री के साथ ही छोटी-छोटी जगहों पर किसी मान्य व्यक्ति द्वारा ध्वजारोहण का कार्य करवाया जाता है.
स्वतंत्रता दिवस
15 अगस्त को देशभर में बड़े ही धूम-धाम से 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाया जाएगा. इस दौरान हर जगह ध्वजारोहण का कार्यक्रम होता है. ध्वजारोहण को लेकर भारत सरकार की ओर से भारतीय ध्वज संहिता को लागू किया गया है.
भारतीय ध्वज संहिता
क्या आपको पता है कि भारत सरकार की ओर से ध्वजारोहण से जुड़ी 'भारतीय ध्वज संहिता' लागू की गयी है जिसके अनुसार ही आपको ध्वजारोहण करना होता है. क्या आप तिरंगा की कहानी जानते हैं. क्या ये जानते हैं कि पहला राष्ट्रीय ध्वज कब फहराया गया था.
1906-पहला राष्ट्रीय ध्वज
पहला राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कलकत्ता में फहराया गया था. जिसे अब कोलकाता कहा जाता है. इस झंडे को लाल, पीले और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों से बनाया गया था. इसमें ऊपर हरा, बीच में पीला और नीचे लाल रंग था. साथ ही इसमें कमल के फूल और चांद-सूरज भी बने थे.
1907-दूसरा राष्ट्रीय ध्वज
भारत का पहला गैर आधिकारिक ध्वज अधिक समय तक नहीं रहा. भारत को अगले ही साल नया राष्ट्र ध्वज मिल गया. दूसरा राष्ट्रीय ध्वज पेरिस में मैडम कामा और 1907 में उनके साथ निर्वासित किए गए कुछ क्रांतिकारियों द्वारा फहराया गया था. हालांकि, कई लोगों का कहना है कि यह घटना 1905 में हुई थी. यह भी पहले ध्वज के जैसा ही था. इस राष्ट्रध्वज में भी चांद सितारे आदि मौजूद था. साथ ही इसमें तीन रंग केसरिया, हरा और पीला शामिल था. बाद में इसे एक सम्मलेन के दौरान बर्लिन में भी फहराया गया था.
1917-तीसरा राष्ट्रीय झंडा
तीसरा ध्वज, 1917 में आया. डॉ. एनी बीसेंट और लोकमान्य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन के दौरान इसे फहराया था. इस झंडे में पांच लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियां एक के बाद एक और सप्तऋषि के अभिविन्यास में इस पर 7 सितारे बने हुए थे. वहीं, बांई तरफ ऊपरी किनारे पर (खंभे की ओर) यूनियन जैक था.एक कोने में सफेद अर्धचंद्र और सितारा भी था
1921-चौथा राष्ट्रीय ध्वज
चौथा तिरंगा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र के दौरान फहराया गया था. आंध्र प्रदेश के एक युवक ने एक झंडा बनाया और गांधी जी को दिया था. यह कार्यक्रम साल 1921 में बेजवाड़ा (अब विजयवाड़ा) में किया गया था. यह दो रंगों (लाल और हरा) का बना हुआ था. ये ध्वज दो प्रमुख समुदायों अर्थात हिन्दू और मुस्लिम का प्रतिनिधित्व करता है.
1931-पांचवा राष्ट्रीय ध्वज
भारत का चौथा राष्ट्र ध्वज 1921 में निर्मित हुआ जो 10 सालों तक अस्तित्व में रहा. 1931 में हिंदुस्तान को एक बार फिर नया राष्ट्रध्वज मिला. चौथे राष्ट्रध्वज की तरह ही पांचवे राष्ट्रध्वज में भी चरखा का महत्वपूर्ण स्थान रहा. इस बार रंगों में हेर-फेर हुआ. चरखा के साथ ही केसरिया, सफ़ेद और हरे रंग का संगम रहा. इंडियन नेशनल कांग्रेस (आईएनसी) ने औपचारिक रूप से इस ध्वज को अपनाया था.
पहले अलग था तिरंगा?
हमारा राष्ट्रीय ध्वज का विकास आज के इस रूप में पहुंचने के लिए अनेक दौर से गुजरा था. एक रूप राजनैतिक विकास को दर्शाता है. हमारे राष्ट्रीय ध्वज के विकास में कुछ ऐतिहासिक पड़ाव भी आए.
ध्वज को बनने में लगे थे 5 साल
वर्तमान तिरंगे की डिजाइन आंध्र प्रदेश के पिंगली वैकेंया ने बनाई थी. सेना में काम कर चुके पिंगली वेंकैया (Pingali Venkayya) को महात्मा गांधी ये जिम्मेदारी सौंपी. ब्रिटिश इंडियन आर्मी (British Indian Army) में नौकरी कर रहे पिंगली वेंकैया की गांधी जी से मुलाकात दक्षिण अफ्रीका में हुई थी. इस दौरान वेंकैया ने अपने अलग राष्ट्रध्वज होने की बात कही जो गांधीजी को बेहद पसंद आई थी. इस ध्वज को बनने में पांच साल लगे थे.