Plastic Currency: एक समय था जब सोने और चांदी के सिक्के प्रचलन में थे, राजा अशर्फियां इनाम में दिया करते थे लेकिन फिर समय बदला और कागज के नोट का दौर चल पड़ा. आज हम उसी दौर में जी रहे हैं. हालांकि ये जमाना एक कदम और आगे बढ़ चला है, अब हम रुपये डिजिटल खर्च कर रहे हैं. लेकिन मुद्रा को लेकर इतनी चर्चा क्यों? 


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कई देशों में प्रचलन
दरअसल, कागज के नोट मौजूदा समय में दुनियाभर में प्रचलन में है. कहीं गत्ते के नोट बनते हैं तो कहीं कागज के. जहां तक भारत की बात है तो यहां पर करेंसी सिक्कों  के रूप में तो उपलब्ध हैं ही इसके साथ ही कागज के नोट भी खूब प्रचलन में हैं लेकिन अब इससे आगे एक और तरह की करेंसी की चर्चा चल पड़ी है और वो है प्लास्टिक के नोट. ऐसे नोट पहले से ही कई देशों में प्रचलन में है. 


प्लास्टिक के क्या फायदे हैं
विशेषज्ञ मानते हैं कि कागज के नोट के मुकाबले ढाई गुना ज्यादा प्लास्टिक के नोट चलते हैं, ये नोट  नमी और गंदगी से बचे रहते हैं. ऐसे नोटो का नकली नोट बना पाना मुश्किल है. प्लास्टिक पर प्रिंटिंग कर पाना आसान नहीं है. इन नोटों का वेट पेपर वाले नोट से कम होता जिससे इसे ले जाना ले आना आसान होता है. जानकारी दे दें कि दुनिया में कुल 23 देश हैसे हैं जहां पर प्लास्टिक करेंसी का प्रचलन है और इनमें 6 देश वहां के हर एक नोट प्लास्टिक के नोट में चेंज कर चुके हैं. 


प्लास्टिक नोट वाले देश 
रोमानिया- पॉलिमर नोट रोमानिया में 2005 में चल में आया. किसी यूरोपीय देश में पहली बार ऐसे नोट चलाए गए थे. यहां रोमैनियन लेऊ करेंसी चलती है.


न्यूजीलैंड- न्यूजीलैंड में कागज के नोट साल 1999 में ही पॉलिमर नोट में कनवर्ट किया. इस देश के मुद्रा का नाम न्यूजीलैंड डॉलर है सबसे छोटा पांच डॉलर और सबसे बड़ा 100 डॉलर का नोट है. 


ब्रूनेई- नकली नोटो के झंझट से उबरने के लिए इस देश ने अपने यहां प्लास्टिक नोट की शुरुआत की थी. दक्षिण पूर्व एशिया का यह देश दुनिया के सबसे धनी देशों की सूची में शामिल है जहां कि करेंसी का नाम ब्रूनेई डॉलर है.  


वियतनाम- इस देश ने साल 2003 में  प्लास्टिक के नोट चलाना शुरू कर दिया था. फिलहाल वहां सभी नोट प्लास्टिक के कर दिए गए हैं. यहां चलने वाले वियतनामी डोंग की सबसे ज्यादा मूल्य वाला नोट पांच लाख का है जिसकी कीमत 20 अमेरिकी डॉलर के इक्वल है. 


रोमानिया- पॉलिमर नोट रोमानिया में 2005 में चल में आया. किसी यूरोपीय देश में पहली बार ऐसे नोट चलाए गए थे. यहां रोमैनियन लेऊ करेंसी चलती है.


ऑस्ट्रेलिया- यहां पर साल 1988 में ही प्लास्टिक नोट शुरू कर दिए गए. ऐसा करने वाला ऑस्ट्रेलिया पहला देश है. यह दुनिया का मात्र एक देश है जो पॉलिमर नोट बनाता है.


पापुआ न्यू गिनी- ऑस्ट्रेलिया से साल 1949 में आजाद हुए इस देश ने 19 अप्रैल 1975 कीना नाम की नई मुद्रा का चलन शुरू किया क्योंकि आजादी के बाद भी यहां पर ऑस्ट्रेलियाई करेंस ही चलन में थी. आज यहां प्लास्टिक नोट का प्रचलन है.


पीएम का पापुआ न्यू गिनी दौरान 
फिलहाल प्रधानमनंत्री नरेंद्र मोदी पापुआ न्यू गिनी के दौरे पर है जहां पर उनका भव्य स्वागत किया गया. वहां के प्रधानमंत्री ने सम्मान देते हुए पीएम के पैर भी छुए जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था. भारतीय पीएम के स्वागत में नारे भी लगाए गए थे.


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