Side Effects Of Fire: कड़ाके की ठंड में आग तापना लगता है अच्छा? जान लें इसके भारी नुकसान, हो सकती हैं ये गंभीर समस्याएं
Winter Season, Winter Fire: सर्दियों में लोग खूब अंगीठी का मजा लेते हैं, लकड़ी इकट्ठा कर आग जलाकर सामने बैठते हैं लेकिन इससे हमें कई हेल्थ प्रॉब्लम भी हो सकते हैं, इसे भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है.
Side Effects Of Winter Fire: कड़कड़ाती सर्दी में ठंड से बचने के लिए हम हर संभव कोशिश करते हैं. खूब सारे गर्म कपड़े पहनते हैं, गरम खानपान पर ध्यान देते हैं. एक और काम करते है ताकि ठंड से बचा जा सके. दरअसल, ठंड से राहत पाने के लिए कई लोग अंगीठी लगाकर तापते हैं. कुछ लोगों को आग तापने की आदत पड़ जाती है. कुछ देर के लिए आपके शरीर को बहुत गर्माहट मिलती है. लेकिन क्या आपको पता है कि आग तापने के कई नुकसान शरीर को झेलने पड़ सकते हैं. पर्यावरण को इससे बहुत नुकसान पहुंचता है और व्यक्ति की सेहत पर भी इसका बहुत बुरा असर पड़ता है. आइए, आग तापने की आदत की वजह से होने वाली हेल्थ प्रॉब्लम के बारे में जानते हैं.
आंखों व गले से जुड़ी समस्या
आग तापते समय निकलने वाला धुआं आंखों, नाक और गले में जाती है तो जलन जैसी परेशानी हो सकती है. ऐसे में व्यक्ति को गले में दर्द हो सकता है, नाक बह सकती है और आंख लाल हो सकती है, सूजन और खुजली भी आखों में हो सकती है.
श्वसन संबंधी परेशानी
लकड़ी से निकलने वाले जो फाइन पार्टिकल व प्रदूषित रेस्पिरेटरी होती हैं उससे खांसी. घरघराहट व सांस संबंधी कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं. अस्थमा और सीओपीडी जैसी बीमारियों का ये सभी कारण भी बनते हैं. पहले से ही ऐसी समस्यों से जूझ रहे लोगों को आग तापने से दूर रहना चाहिए.
स्किन से जुड़ी दिक्कत
सर्दियों में स्किन से जुड़ी कई स्किन से जुड़ी समस्याएं होती हैं. स्किन ड्राई होना उन समस्याओं में से काफी आम है लेकिन आग तापने की वजह से स्किन से जुड़ी अन्य परेशानियों से भी जूझना पड़ सकता है. इसकी वजह से स्किन फटना, जलन महसूस होना, इसके अलावा एक्जिमा और सोरायसिस जैसी स्किन संबंधी परेशानी हो सकती है.
हीमोग्लोबिन लेवल कम होना
हेल्दी रहने के लिए हीमोग्लोबिन की मात्रा शरीर में सही होना जरूरी है लेकिन ज्यादा आग तापने या अंगीठी के कारण खून की मात्रा शरीर में कमी होने से जुड़ी समस्या हो सकती है. देर तक आग सेकने से कार्बन मोनोऑक्साइड का लेवल शरीर में बढ़ सकता है. इससे लंग्स पर बुरा असर पड़ता है. कार्बन मोनोऑक्साइड फेफड़ों तक में चला जाता है जिससे ब्लड में मिलने से हीमोग्लोबिन का लेवल भी कम होने का डर पैदा होता है.
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