UP:इलेक्ट्रिक वाहनों पर टूटे लोग, छप्परफाड़ बिक्री ने तोड़ा रिकॉर्ड,तीन साल में बढ़ी 8 गुना मांग
UP Electric Vehicle Sales: ई वाहन की अच्छी बिक्री का होना, बाजार में वैरायटी, तकनीक और डिजायन में आमूल-चूल परिवर्त भी है. ये बाजार के लिए इसे अच्छा संकेत माना जा रहा है क्योंकि महज तीन साल साल में आठ गुना मांग बढ़ी है.
विवेक त्रिपाठी/लखनऊ: महंगा होता हुआ पेट्रोल और डीजल लोगों को परेशान कर रहा है. व्यक्ति अब मंहगे ईंधन के चलते विकल्प के रूप में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की तरफ देख रहे हैं. इन दिनों इलेक्ट्रिक वाहनों को पसंद करने वाले और खरीदार भी बढ़ रहे हैं. हालांकि पेट्रोल और डीजल वाहनों की बिक्री पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा है. ई वाहनों की बिक्री ने रिकॉर्ड तोड़ा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तीन साल साल में ई वाहनों की मांग आठ गुना बढ़ी है. जिसको देखते हुए चार्जिंग स्टेशन भी बढ़ाए जाएंगे.
ग्राफ भी ऊपर चढ़ा
प्रदेश में इलेक्ट्रिक व्हीकलों की मांग तेज रफ्तार से भाग रही है. साल 2020 में केवल 31 हजार ई गाड़ियां बिकी. वहीं, साल 2023 के 10 महीने में ही 2.25 लाख ई वाहन बिके. इसी तरह हाइब्रिड गाड़ी की मांग भी 7 हजार से बढ़कर 28 हजार हो गई है. इलेक्ट्रिक व्हीकलों की रफ्तार ने पेट्रोल व एलपीजी के हाइब्रिड गाड़ियों को जोर का झटका दिया है. सीएनजी वाहनों की बिक्री का ग्राफ भी ऊपर चढ़ा है. तीन साल में इनकी बिक्री दस फीसदी भी नहीं बची है.
वाहनों (vehicles) की Sales का ग्राफ
वाहन- टाइप -वर्ष 2023 - वर्ष 2022 -वर्ष 2021 - वर्ष 2020
ई वाहन (e vehicle)- 2.25 लाख 1.63 लाख, 67,000, 31,000
पेट्रोल/हाइब्रिड - 25,000, 18,000, 12,000, 7,000
पेट्रोल/LPG- 215 390 2480 4,000
पेट्रोल/एथेनॉल- 8,600 , 00 00 00
डीजल -2.44 लाख, 2.68 लाख, 2.49 लाख, 2.60 लाख
पेट्रोल - 21 लाख, 25 लाख, 23 लाख, 23 लाख
E वाहनों की मांग में अच्छी तेजी
मीडिया रिपोर्ट्स और वाहन निर्माता कंपनियों के मुताबिक पेट्रोल, डीजल और सीएनजी वाहनों की बिक्री में कोई कमी नहीं आने के बाद भी ई वाहनों की मांग में अच्छी तेजी है. इससे साफ है कि 4 व्हीलरों का नया तबका बाजार में आ गया है. ये वो वर्ग है जिसके पास बाइक और स्कूटी हैं. मिडल क्लास के लिए चार पहिया ई वाहन का मेंटेनेंस खर्च टू व्हीलर से भी कम है. यूथ का झुकाव भी अब ई वाहन की तरफ बढ़ रहा है.
बढ़ेगी मांग
यूपी में जबर्दस्त ग्रोथ को देखते हुए वाहन कंपनियों का फोकस ज्यादा से ज्यादा चार्जिंग स्टेशन और बैटरी स्वैपिंग की व्यवस्था करना है. ई वाहनों की चार्जिंग सुविधाएं बढ़ने से अगले तीन साल में इनकी मांग 30 गुना तक बढ़ सकती है. ऐसा हो सकता है कि इनकी बिक्री पेट्रोल और डीजल व्हीकलों से भी आगे निकल जाए.
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