कानपुर: उत्तर प्रदेश में 2022 विधानसभा के मद्देनजर सभी पार्टियां जनता को लुभाने में लग गई हैं. ऐसे में एक बड़ा वोटबैंक- ब्राह्मण, सभी दलों जीतने का बड़ा सहारा माना जाता है, जिसे अपनी तरफ करने के लिए पार्टियां 'ब्राह्मण सम्मेलन' कर रही हैं. लेकिन बसपा का यह दांव कानपुर में कुछ खास पावरफुल नहीं दिख सका. दरअसल, यहां 22 अगस्त को होने वाला ब्राह्मण सम्मेलन हो ही नहीं पाया, क्योंकि जिनके लिए सम्मेलन आयोजित किया गया था, वे शामिल ही नहीं हुए. खबरों की मानें तो पार्टी का कोई नेता-कार्यकर्ता फंड की जिम्मेदारी लेना चाहता है, न ही सम्मेलन में शामिल होने के लिए ब्राह्मणों की संख्या में कोई इजाफा हो सका है. ऐसे में बसपा की जरी खिसकती नजर आ रही है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

PET 2021: यूपी एसटीएफ ने पकड़े चीटिंग के 'मास्टर प्लानर्स', 40 हजार लेकर बन जाते थे 'प्रॉब्लम सॉल्वर'


ब्राह्मणों की संख्या ज्यादा दिखाने के लिए यह प्लान
माना जा रहा है कि अब पार्टी के शीर्ष नेता कानपुर देहात और शहर दोनों को मिलाकर एक ब्राह्मण सम्मेलन करने की कोशिश कर रहे हैं. अब बसपा मजबूर है कि दोनों जिला इकाइयों को मिलाकर सम्मेलन आयोजित किया जाए, ताकि शामिल होने वाले ब्राह्मणों की संख्या बढ़ सके. इसी के साथ, ब्राह्मण सम्मेलन सफल दिखाने के लिए दो जिलों की संयुक्त टीम का गठन किया गया है. साफ दिख रहा है कि जातीय आंकड़ों के दम पर सत्ता में आने की बसपा की रणनीति कुछ खासा प्रभावी नहीं है. 


सांसद अतुल राय केस: रेप पीड़िता के दादाजी ने कहा, 'गरीब जरूर हूं, लेकिन पूरी लड़ाई लड़ूंगा '


दो बार नेता आयोजन से पीछे हटे
गौरतलब है कि बसपा का प्लान था कि 22 अगस्त को बिठूर के एक फार्म में ब्राह्मण सम्मेलन होगा. लेकिन यह बात सामने आई कि जिस नेता को फार्म हाउस की जिम्मेदारी दी गई थी, उन्होंने काम से किनारा कर लिया. इसके बाद एक और बार कल्याणपुर में एक गेस्ट हाउस बुक किया गया. लेकिन वह भी कैंसिल करना पड़ा. अब यह तीसरी बार होगा कि पार्टी के नेता ब्राह्मण सम्मेलन को सफल बनाने की कोशिश करेंगे. माना जा रहा है कि जल्द ही पार्टी सम्मेलन की घोषणा करेगी.


WATCH LIVE TV