लखनऊ: टोक्यो अलिंपिक्स 2020 आज यानी 23 जुलाई से शुरू हो गया है. दुनिया के सबसे बड़ी प्रतियोगिता में उत्तर प्रदेश के 10 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं. सभी पूरी तरह से तैयार हैं और मैदान में उतरने का इंतजार कर रहे हैं. अपनी मेहनत के दम पर टोक्यो का टिकट हासिल करने वाले इन दमदार खिलाड़ियों के बारे में कुछ जानते हैं...


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गांव की नदी में सीखी थी नौका चलाना, अब अरविंद बने टोक्यो ओलिंपिक का हिस्सा
बुलंदशहर के अरविंद सिंह देश के सबसे बड़े रोइंग खिलाड़ियों में आते हैं. गांव की नदी और तालाबों में करतब दिखाते और नौका चलाते वह राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी बने. फौज में भी उन्होंने सबको पछाड़ दिया था और आज ओलिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.


वंदना कटारिया की हॉकी स्टिक मचाएगी टोक्यो में धमाल
वंदना कटारिया के पिता कोरोना की वजह से चल बसे. इस दौरान वंदना ओलिंपिक की भी तैयारी कर रही थीं, जो की मुश्किल होता जा रहा था. लेकिन देश के लिए गोल्ड लाने का पिता का सपना तो पूरा करना ही था. इसके बाद आंसुओं को दबाकर वंदना ने प्रैक्टिस शुरू की. वह साल 2007 में लखनऊ के केडी सिंह स्टेडियम में हॉकी सीखने आई थीं. कोच पूनम लता और विष्णु शर्मा की मेहनत के साथ-साथ वंदना ने भी खूब मेहनत की और आज टोक्यो का टिकट पा ही लिया.


सौरभ चौधरी हैं शूटिंग में गोल्ड के तगड़े दावेदार
मेरठ के रहने वाले इंटरनेशनल शूटर सौरभ चौधरी को पहले भी कई मेडल मिल चुके हैं. उनके हुनर की कहानी किसी से छुपी नहीं है. अब सौरभ का लक्ष्य है टोक्यो ओलिंपिक में देश के लिए स्वर्ण पदक लाना. उन्हें अर्जुन अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है. मीडिया में छपी खबरों से पता चला सौरभ के पास जब प्रैक्टिस करने का कोई साधन नहीं था, तब उन्होंने अपने गांव में घर के अंदर ही टीन शेड डालकर शूटिंग रेंज तैयार की और भरी गर्मी में प्रैक्टिस शुरू कर दी. सौरभ 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे.


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सतीश कुमार की मुक्केबाजी छुड़ाएगी सबके छक्के
बुलंदशहर के रहने वाले सतीश पहले कबड्डी खेला करते थे. फिर इंडियन आर्मी में शामिल होने के बाद उनका इंटरेस्ट जगा बॉक्सिंग में. अब सतीश हेवी वेट (91 किलो से ज्यादा) कैटेगरी में भारत की तरफ से मुक्केबाजी में हिस्सा लेंगे.


ललित उपाध्याय ने अपने हॉकी के हुनर से पाया टोक्यो का टिकट
बनारस के एक गांव भगवानपुर के रहने वाले ललित का कहना है कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता. बस होती है ढेर सारी मेहनत और लगन. सौरभ लखनऊ साई की ओर से सीनियर ऑल इंडिया केडी सिंह बाबू प्रतियोगिता में भी हिस्सा ले चुके हैं और अब टोक्यो में देश का झंडा ऊंचा करने पहुंचे हैं.


अन्नू रानी हैं भाला फेंक प्रतियोगिता में सबसे छोटे कद की खिलाड़ी
मेरठ की अन्नू रानी का कद उनके पसंदीदा खेल में कई अड़चने लेकर आया. लेकिन अन्नू की मेहनत और लगन से सबको दिखा दिया कि हाइट महज एक नंबर होती है. और अन्नू रानी बन गईं भाला फेंक प्रतियोगिता में दुनिया की सबसे छोटे कद की खिलाड़ी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मेरठ के बहादुरपुर गांव की रहने वाली अन्नू शुरुआत में भाला फेंकने के साथ, गोला और चक्का फेंक की भी प्रैक्टिस करती थीं. लेकिन उनके कोच ने उनसे कहा कि सिर्फ भाला फेंकने की प्रैक्टिस करें. हालांकि, यह आसान बिल्कुल नहीं था. दरअसल, एक अच्छा भाला करीब डेढ़ लाख रुपये का आता है, जिसे खरीदना अन्नू के किसान पिता के लिए संभव नहीं था. खैर, किसी तरह परिवार ने ढाई हजार रुपये जुटा कर एक सस्ता भाला लिया और अन्नू ने प्रैक्टिस शुरू की. इसके बाद स्टेट लेवल में मेडल लाईं और फिर मेरठ की एटीई निदेशन आदर्श आनंद ने अन्नू के लिए भाला स्पॉन्सर किया. इसके बाद अन्नू ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.


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मेराज अहमद की शूटिंग से हैं देश को उम्मीदें
खुर्जा के रहने वाले मेराज अहमद शूटिंग में भारत की तरफ से हिस्सा ले रहे हैं. मेराज पहले क्रिकेट के शौकीन थे, लेकिन फिर शौक के तौर पर शूटिंग शुरू की और इसी में मन लगा लिया. देश के लिए गोल्ड लाने के बड़े दावेदार हैं मेराज.


शिवपाल सिंह का थ्रो लाएगा देश के लिए मेडल
चंदौली के शिवपाल सिंह के संघर्ष की कहानी खुद पीएम मोदी ने मन की बात में सुनाई थी. शिवपाल टोक्यो ओलिंपिक में थ्रो में हिस्सा लेंगे. उनकी प्रतिभा और समर्पण को देखते हुए वह पहले से ही विजेता हैं. बस बारी है देश के लिए मेडल लाने की.


सीमा पुनिया फेंकेंगी सफलता का चक्का
उत्तर प्रदेश की बहू सीमा पुनिया इस बार ओलिंपिक में व्यक्तिगत वर्ग में हिस्सा लेने वाली हैं. वह चक्का फेंक प्रतियोगिता में पहले भी राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक ला चुकी हैं. 37 साल की पूनिया ने 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में रजत और 2018 एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता था.


वॉक प्रतियोगिता में प्रियंका हैं दमदार खिलाड़ी
मेरठ की रहने वाली प्रियंका गोस्वामी 20 किलोमीटर वॉक स्पर्धा के लिए पूरी तरह तैयार हैं. वह पहले एक जिमनास्ट थीं, लेकिन कुछ समय बाद जिमनास्टिक छोड़कर उन्होंने एथलेटिक्स की प्रैक्टिस शुरू कर दी.