गोल्ड मेडल का दावेदार; बीच ट्रैक पर गिरा, फिर जो हुआ वो ओलिंपिक की सबसे अद्भुत घटना है....
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गोल्ड मेडल का दावेदार; बीच ट्रैक पर गिरा, फिर जो हुआ वो ओलिंपिक की सबसे अद्भुत घटना है....

बात 1992 बार्सिलोना ओलिंपिक (Barcelona Olympics, 1992) की है. 400 मीटर रेस का सेमीफाइनल शुरू होने वाला था. 26 साल के डेरेक रेडमंड (Derek Redmond) बाकी प्रतियोगियों के साथ स्टार्टिंग लाइन पर पहुंच चुके थे...

गोल्ड मेडल का दावेदार; बीच ट्रैक पर गिरा, फिर जो हुआ वो ओलिंपिक की सबसे अद्भुत घटना है....

निमिषा श्रीवास्तव/नई दिल्ली: 'खेल' या 'स्पोर्ट्स' महज शब्द नहीं, बल्कि ऐसा इमोशन है, जिसे हर व्यक्ति महसूस कर सकता है. हम दुनिया के किसी भी कोने में रहें, लेकिन स्पोर्ट्स के जरिये देश और दुनिया से तार जोड़ लेते हैं. खेल और देशभक्ति का भी अपना ही एक रंग है. मैदान में चंद खिलाड़ी खेलते हैं और जोश पूरे देश में भर जाता है. हारने का दुख जितना प्लेयर को होता है, उससे ज्यादा चोट उनके फैंस को लगती है. इसी तरह जीत का जश्न भी देखने लायक होता है. ऐसा ही होता है, जह हमारे खिलाड़ी ओलिंपिक में देश का नाम रोशन करते हैं. इस साल भी भारत के कई खिलाड़ी Tokyo Olympics में मेडल लाने के लिए कड़ी मेहनत कर हमें इंस्पायर कर रहे हैं.

यह बात हम आपको इसलिए बता रहे हैं क्योंकि हम जानते हैं कि एक स्पोर्ट्स पर्सन का एक आम आदमी पर क्या प्रभाव होता है. उनके खेल की भावना, हार के आंसू, जीत की खुशी, प्लेयर्स का पागलपन, किसी भी स्थिति को सहने की क्षमता, ये सारी चीजें हमें भी एक बेहतर इंसान बनने में मदद करती हैं. इसलिए आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति की कहानी सुनाने जा रहे हैं, जिसने खेल का इतिहास बदलकर करोड़ों लोगों को प्रभावित किया. यह खिलाड़ी है ब्रिटिश स्प्रिंटर डेरेक रेडमंड (Derek Anthony Redmond), जिसने अपने आत्मविश्वास के बल पर दुनिया जीत ली...

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डेरेक रेडमंड की दिल को छूने वाली कहानी
बात 1992 बार्सिलोना ओलिंपिक (Barcelona Olympics, 1992) की है. 400 मीटर रेस का सेमीफाइनल शुरू होने वाला था. 26 साल के डेरेक रेडमंड (Derek Redmond) बाकी प्रतियोगियों के साथ स्टार्टिंग लाइन पर पहुंच चुके थे. गोल्ड मेडल के मजबूत दावेदार डेरेक की बॉडी में खून के साथ कॉन्फिडेंस भी दौड़ रहा था. हो भी क्यों न? इससे ठीक 7 साल पहले उन्होंने इसी रेस में ब्रिटिश रिकॉर्ड जो तोड़ा था. 

1992 Olympics से पहले हुईं 8 सर्जरी
हालांकि, कई चोटों की वजह से उनके करियर में काफी अड़चनें आईं. शायद यह बात जानकर आप हैरान भी रह जाएं कि 1992 के ओलिंपिक से पहले उनकी 8 सर्जरी हुई थीं. लेकिन डेरेक ने कभी हार नहीं मानी. रेडमंड की विल पावर ने उन्हें वापस ट्रैक पर लाने में मदद की. बार्सिलोना में वह अपने करियर के टॉप पर थे. 

हैमस्ट्रिंग की वजह से गिर गए डेरेक
खैर, दौड़ शुरू हुई. आधे रास्ते वह बढ़त बनाते हुए दौड़े, लेकिन ट्रैक के बीच पहुंचते ही हैमस्ट्रिंग चोट की वजह से वह गिर गए. फिर भी डेरेक ने हार नहीं मानी. वह समझ गए थे कि शायद अब वह मेडल नहीं जीत पाएंगे. उनके लिए यह रेस खत्म हो चुकी थी. लेकिन दौड़ को आधा छोड़ना डेरेक रेडमंड ने कभी सीखा ही नहीं था. उनके पिता भी नहीं चाहते थे कि बेटा अधूरी रेस से वापस आ जाए. 

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पिता ने पूरी कराई रेस
ऐसे में, उनके पिता ट्रैक के बीच में आए और डेरेक को उठने में मदद की. इसके बाद अपने पिता की सहायता से उन्होंने रेस पूरी की. डेरेक रेडमंड की यह चोट इतना भयंकर रूप ले चुकी थी कि उन्होंने अपने करियर से संन्यास लेना पड़ा. लेकिन कुछ समय बाद डेरेक ने इंग्लैंड की बास्केटबॉल टीम जॉइन की. और अब डेरेक रेडमंड लोगों को मोटिवेट करने का काम करते हैं.

हैमस्ट्रिंग चोट क्या है?
हैमस्ट्रिंग मांसपेशी हिप से घुटने तक जाने वाली एक मसल है, जो Thighs के पीछे मौजूद होती है. जब इस मसल में चोट लगती है, तो इसे Hamstring Injury कहते हैं. हैमस्ट्रिंग खेलों में लगने वाली सबसे आम चोटों में से एक है. यह इंजरी ज्यादातर फुटबॉल, किक बॉक्सिंग, जूडो और दोड़ने वाले स्पोर्ट्स में लगती है. अक्सर कई मशहूर खिलाड़ियों को Hamstring Injury लगने की खबरें सुनने के मिल जाती हैं.

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