MS Swaminathan: कौन हैं हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन, जिन्हें मिला भारत रत्न सम्मान
Dr. Swaminathan: हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन, जिन्हें मोदी सरकार द्वारा भारत रत्न सम्मान दिया गया, यह सम्मान चौधरी चरण सिंह और पीवी नरसिम्हा राव को भी मिल देने का ऐलान किया गया.
SwamiNathan: भारत सरकार ने हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथ के साथ पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न के पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला किया है. एमएस स्वामीनाथ की वजह से देश अनाज संकट से बाहर आया और गेहूं, चावल आदि के मामले में आत्मनिर्भर बनाडॉ. एमएस स्वामीनाथन की कृषि तकनीक में गहरी जानकारी की वजह से भारत ने गेहूं, चावल की उन्नत प्रजातियां विकसित कीं और पंजाब-हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश किसानों की बड़ी बेल्ट के तौर पर उभरा. 28 सितंबर 2023 को स्वामीनाथन का निधन हो गया था.
डॉ. स्वामीनाथन के प्रयास का प्रभाव किसी क्रांतिकारी से कम नहीं था. भारत में खाद्य उत्पादन आसमान छू गया और देश में भोजन की कमी की स्थिति से खाद्य आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ गया. उनके कामों ने ना ही केवल संभावित अकाल को टाला, बल्कि अनगिनत कृषको के समुदायों की स्थिति को ऊंचा उठाया. स्वामीनाथन ने वैज्ञानिक योगदान के अलावा हमेशा टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल कृषि पद्धतियों के महत्व पर भी जोर दिया है. टिकाऊ कृषियों के लिए उनकी वकालत विश्व के स्तर पर भी गूंजी है.
उनका जन्म 7 अगस्त,1925 में हुआ
स्वामीनाथन का 7 अगस्त, 1925 में तमिलनाडु के कुंभकोणम में जन्म हुआ था. डॉ. स्वामीनाथन की कृषि महानता की यात्रा भी जल्दी शुरू हुई. मद्रास के कृषि कॉलेज में कृषि विज्ञान की डिग्री के साथ, उन्होंने नामी कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में आगे की पढ़ाई करी थी, जहां आनुवंशिकी और पौधों के प्रजनन में उनकी रुचि जागृत हुई.
पुलिस की नौकरी छोड़कर चुना कृषि क्षेत्र
एमएस स्वामीनाथन पर परिवारवालों की तरफ से सिविल सेवा की परीक्षा के लिए तैयारी करने का दवाब बनाया गया था. स्वामीनाथन सिविल सेवा की परीक्षा में शामिल हुए और भारतीय पुलिस सेवा में उनका चयन भी हुआ. लेकिन उसी दौरान नीदरलैंड में आनुवंशिकी में यूनेस्को फेलोशिप के रूप में कृषि क्षेत्र में उन्हें एक मौका मिला था. उन्होंने ने पुलिस की सेवा को छोड़कर नीदरलैंड जाना ठीक समझा. सन 1954 में वह भारत लौट आए और यहीं पर कृषियों के लिए काम करना शुरू किया.
11 साल की उम्र में उनके पिता की हुई मौत
जब एमएस स्वामीनाथ 11 साल के ही थे तब उनके पिता की मृत्यु हो गई थी. फिर उनके बड़े भाई ने उन्हें पढ़ा-लिखाकर बड़ा किया. उनके परिजन चाहते थे कि वह आगे चलके मेडिकल की पढ़ाई करें. लेकिन उन्होंने तो अपनी पढ़ाई की शुरुआत ही प्राणि विज्ञान से की थी.
उन्हें कई सम्मानों मिलें
उनके योगदान ने भी उन्हें कई प्रशंसाएं और सम्मान दिलाए थे, जिनमें से भारत के दो सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण और पद्म विभूषण था. डॉ. स्वामीनाथन को विश्व खाद्य पुरस्कार भी मिला जा चुका हैं.
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