प्रमोद कुमार/कुशीनगर: जन्माष्टमी का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है लेकिन क्या आपको मालूम है कि कुशीनगर जिले के पुलिसकर्मी जन्माष्टमी के उत्सव को नहीं मनाते हैं. कारण यह है कि इसी तिथि की काली रात को बहुचर्चित पचरुखिया कांड हुआ. पुलिस व बदमाश मुठभेड़ हुई. रोंगटे खड़े कर देने वाली यह घटना अभी भी पुलिसकर्मियों के जेहन में जिदा है. जश्न के दिन उस मंजर को याद कर उनका कलेजा कांप जाता है. 


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उस वक्त देवरिया जिले से अलग होकर कुशीनगर जनपद बनाया गया. पडरौना को नवसृजित जनपद का दर्जा दिया गया था. उस वक्त के तैनात पुलिस कर्मी बताते हैं कि कुशीनगर में जंगल डाकुओं का ख़ौफ़ था. जिस वजह से रेता और जंगल क्षेत्र में यह डाकू छिपे रहते थे क्योंकि बिहार से सटा होने के चलते डाकुओं का जंगलराज चलता था. अपराध करने के बाद डाकू बिहार में शरण लेते थे.


29 अगस्त 1994 को कुशीनगर में बड़ी घटना को अंजाम देने आ रहे डाकुओं का जब पुलिस का जब पुलिस को सूचना मिली तो पुलिस मोर्चा संभालने निकल पड़ी. उस वक्त जिले में जन्माष्टमी की धूम थी,बेहद उत्साह से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाने में व्यस्त लोगो को यह नही पता था कि यह दिन काला दिवस होगा.


बताया जाता है कि पडरौना कोतवाली पुलिस सूचना मिली कि दस्यु बेचू मास्टर व रामप्यारे कुशवाहा उर्फ सिपाही पचरूखिया के ग्राम प्रधान राधाकृष्ण गुप्त के घर डकैती डाल उनकी हत्या का योजना बना रहे हैं,जिसपर तत्कालीन कोतवाल योगेंद्र प्रताप ने यह जानकारी एसपी बुद्धचंद को दी एसपी ने कोतवाल को थाने में मौजूद फोर्स के अलावा मिश्रौली डोल मेला में लगे जवानों को लेकर मौके पर पहुंचने का निर्देश दिया.


साथ ही एसओ तरयासुजान, अनिल पांडेय को भी एसपी ने इस अभियान में शामिल होने का आदेश दिया. बदमाशों की धर पकड़ के लिए सीओ पडरौना आरपी सिंह के नेतृत्व में गठित टीम में सीओ हाटा गंगानाथ त्रिपाठी, दरोगा योगेंद्र सिंह आरक्षी मनिराम चौधरी, राम अचल चौधरी, सुरेंद्र कुशवाहा, विनोद सिंह व ब्रह्मदेव पांडेय शामिल किए गए.


दूसरी टीम एसओ तरयासुजान अनिल पांडेय के नेतृत्व में एसओ कुबेरस्थान राजेंद्र यादव, दरोगा अंगद राय, आरक्षी लालजी यादव, खेदन सिंह, विश्वनाथ यादव, परशुराम गुप्त, श्यामा शंकर राय, अनिल सिह और नागेंद्र पांडेय के साथ रात्रि साढे़ नौ बजे बांसी नदी किनारे पहुंची.


वहां पता चला कि बदमाश पचरूखिया गांव में हैं,तो पुलिसकर्मियों ने नाविक भुखल को बुला डेंगी को उस पार ले चलने को कहा. भुखल ने दो बार में डेंगी से पुलिस कर्मियों को बांसी नदी के उस पार पहुंचाया, लेकिन बदमाशों का कोई सुराग नहीं मिला. 


पहली खेप में सीओ समेत अन्य पुलिसकर्मी नदी इस पार वापस आ गए, जबकि दूसरी टीम के डेंगी पर सवार होकर चलते ही नदी के समीप पहुंचे बदमाशों ने पुलिस टीम पर ताबड़तोड़ फायर झोंक दिए. जिसमें नाविक भुखल व सिपाही विश्वनाथ यादव को गोली लग गई और डेंगी अनियंत्रित हो कर नदी में डूबने लगी. इससे सवार सभी पुलिसकर्मी नदी में गिर पड़े. इस दौरान बदमाशों ने पुलिस टीम पर ताबड़तोड़ 40 राउंड फायर की. 


घटना की सूचना सीओ सदर आरपी सिंह ने वायरलेस से एसपी को दी. इसके बाद मौके पर पहुंची फोर्स ने डेंगी सवार पुलिसकर्मियों की खोजबीन शुरू कर दी. जहां एसओ तरयासुजान अनिल पांडेय, एसओ कुबेरस्थान राजेंद्र यादव, तरयासुजान थाने के आरक्षी नागेंद्र पांडेय, पडरौना कोतवाली में तैनात आरक्षी खेदन सिंह, विश्वनाथ यादव व परशुराम गुप्त मृत पाए गए.


घटना में नाविक भुखल भी मारा गया था जबकि दरोगा अंगद राय, आरक्षी लालजी यादव, श्यामा शंकर राय व अनिल सिंह सुरक्षित बच निकले घटना स्थल पर पुलिस के हथियार व कारतूस बरामद तो हो गए लेकिन अनिल पांडेय की पिस्तौल अभी तक नहीं बरामद हो सकी है.


इस घटना में कोतवाल योगेंद्र सिंह ने कुबेरस्थान थाने में अज्ञात बदमाशों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कराया था. घटना बाद तत्कालीन डीजीपी ने भी घटनास्थल का दौरा कर मुठभेड़ की जानकारी ली थी. उस समय इस घटना को लेकर तत्कालीन एसपी पर भी गंभीर आरोप लगे थे. 


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