UP Electricity Workers Strike: यूपी में क्यों आया बिजली संकट, क्या हैं सरकार की दलील और क्यों जिद पर अड़े हैं कर्मचारी
UP Electricity Workers Strike: उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के कर्मचारियों ने वेतन विसंगतियों और बिजली कंपनियों में अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के लिए चयन प्रक्रिया को लेकर हड़ताल शुरू की है. आइये जानते हैं कि बिजली कर्मचारी हड़ताल पर क्यों हैं और उनकी क्या मांगें हैं?
UP Electricity Workers Strike: प्रदेश में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल का आम जनजीवन पर असर देखने को मिल रहा है. कई जगह बिजली की सप्लाई बाधित होने से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. बिजली ठप होने से लोग भी सड़कों पर उतर आए हैं. लोगों के घरों में लगे इन्वर्टर भी जवाब दे चुके हैं. वहीं, बिजलीकर्मियों की हड़ताल को लेकर मुख्यमंत्री ने अपने आवास पर 12 बजे बैठक बुलाई. जिसमें ऊर्जा मंत्री एके शर्मा, प्रमुख सचिव मौजूद समेत अधिकारी भी मौजूद रहे. यह बैठक लगभग 38 मिनट चली. बिजली विभाग के बढ़ते घाटे और बकाए के बावजूद बिजलीकर्मियो की हड़ताल से सरकार नाराज है. सरकार का मानना है कि बिजलीकर्मी हड़ताल कर जनता-किसानों का उत्पीड़न कर रहे हैं.
घाटे में चल रही DISCOM
जानकारी के मुताबिक, करीब 1 लाख बिजली कर्मचारी हड़ताल में शामिल हैं. हड़ताल की वजह से बिजली कटौती हो रही है. जिससे उपभोक्ता परेशान चल रहे हैं. कई जिलों में 80% तक बिजली आपूर्ति बाधित है. सरकार ने एक्शन लेते हुए 650 आउटसोर्सिंग संविदाकर्मियों की सेवा समाप्त कर दी है. साथ ही कर्मचारी उपस्थित नहीं करा पाने पर 7 एजेंसियों पर केस दर्ज किया गया है. काम नहीं करने वालों पर तत्काल FIR दर्ज कराने के निर्देश दिए गए हैं. जिन एजेंसियों पर FIR हुई है, उन्हें प्रतिबंधित भी किया गया है. अब भविष्य में ये एजेंसिया काम नहीं कर सकेंगी. आपको बता दें कि सरकार की 21 हजार करोड़ की सब्सिडी के बाद भी बिजली डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियां (डिस्कॉम) घाटे में चल रहा है. बिजली विभाग हर महीने 1300 करोड़ का घाटा उठा रहा है. PUVVNL का 32693 करोड़ का बिल बकाया है. MVVNL का 17944 करोड़ का बिजली बिल बकाया है. वहीं, DVVNL का 16184 करोड़, PVVNL का 10709 करोड़ और केस्को कानपुर का कुल 2128 करोड़ रुपये का बिजली बिल बकाया है.
बिजलीकर्मी क्यों कर रहे हैं हड़ताल?
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के मुताबिक, 3 दिसम्बर 2022 को योगी सरकार और बिजलीकर्मियों के बीच एक समझौता हुआ था. जिसमें कई बिन्दुओं पर सहमति बनी थी. इनमें ऊर्जा निगमों के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक का चयन समिति द्वारा किया जाना, तीन प्रमोशन पदों के समयबद्ध वेतनमान का आदेश किया जाना, बिजली कर्मियों के लिए पावर सेक्टर इम्प्लॉईज प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाना, विद्युत उपकेन्द्रों के परिचालन और अनुरक्षण की आउटसोर्सिंग को बंद करना समेत अन्य कई बिंदु शामिल थे.
समझौते में अमल ना होने से शुरू हुआ विरोध
सरकार की तरफ से ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने समझौते के बिंदुओं को लागू करने के लिये 15 दिन का समय मांगा था. अब तीन महीने से ज्यादा समय हो गया है, लेकिन समझौते पर कोई अमल नहीं किया गया. समिति के मुताबिक, सरकार ने समझौते में आश्वासन दिया था कि बिजली कंपनियों के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक का चयन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित एक समिति के जरिए ही किया जाएगा. लेकिन इस व्यवस्था को बंद करते हुए अब इन पदों पर स्थानांतरण के आधार पर तैनाती की जा रही है. जो बिजलीकर्मियों के हड़ताल करने का एक बड़ा मुद्दा है. यूपी के बिजलीकर्मियों की हड़ताल के समर्थन में नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रीसिटी इम्प्लॉइज एण्ड इंजीनियर्स (NCCOEEE) उतरा. NCCOEEE के आह्वान पर देश भर के करीब 27 लाख बिजलीकर्मियों ने सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.
हड़ताल पर बैठे बिजली कर्मचारियों की मांग
बिजली कर्मचारियों को कैशलेस इलाज की सुविधा मिले.
कई वर्षों से लंबित बोनस का भुगतान किया जाए.
ट्रांसफॉर्मर वर्कशॉप के निजीकरण का आदेश वापस हो.
746/400/220 KV विद्युत उपकेंद्रों को आउटसोर्सिंग के जलिए चलाने का निर्णय रद्द हो.
आगरा फ्रेचाईजी और ग्रेटर नोएडा का निजीकरण रद्द हो
पावर सेक्टर इम्पलॉइज प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाए.
HC ने अवमानना नोटिस जारी की
वहीं, बिजली कर्मचारियों के हड़ताल पर HC इलाहाबाद ने कर्मचारी नेताओं को अवमानना नोटिस जारी किया. CJM Lko को वारंट तामील कराने के आदेश दिये गए हैं. कोर्ट ने 20 मार्च को कर्मचारी नेताओं को तलब किया गया है. HC में दायर याचिका में कहा गया था यह हड़ताल उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है. कोर्ट का पुराना आदेश है कि विद्युत आपूर्ति बाधित नहीं होनी चाहिए. जबकि UP के कई ज़िलों में विद्युत कर्मचारियों की हड़ताल से बहुत विद्युत उपकेंद्र ठप हैं.
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