नूरपुर से अवनी सिंह और कैराना से मृगांका सिंह को बीजेपी का टिकट, 9 और 10 मई को नामांकन
कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा उपचुनाव के बीजेपी ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. कैराना लोकसभा सीट पर बीजेपी ने स्वर्गीय हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को मैदान में उतारा है. वहीं, नूरपुर विधानसभा सीट से स्वर्गीय लोकेंद्र सिंह की पत्नी अवनी सिंह को टिकट दिया गया है.
लखनऊ: कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा उपचुनाव के बीजेपी ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. कैराना लोकसभा सीट पर बीजेपी ने स्वर्गीय हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को मैदान में उतारा है. वहीं, नूरपुर विधानसभा सीट से स्वर्गीय लोकेंद्र सिंह की पत्नी अवनी सिंह को टिकट दिया गया है. दोनों के नामों का ऐलान केंद्रीय कार्यालय से किया गया है. 9 मई को अवनी सिंह नूरपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए नामांकन करेंगी, जबकि 10 मई को मृगांका सिंह कैराना लोकसभा उपचुनाव के लिए नामांकन करेंगी. 10 मई नामांकन की आखिरी तारीख है. 28 मई को वोटिंग होगी, जबकि 31 मई को काउंटिंग होगी. 2019 लोकसभा चुनाव से पहले कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा उपचुनाव उत्तर प्रदेश में राजनीतिक दलों के लिए लिटमस पेपर टेस्ट जैसा है.
सपा और रालोद के बीच हुआ गठबंधन
बीजेपी को चुनौती देने के लिए रालोद (राष्ट्रीय लोकदल) और समाजवादी पार्टी ने गठबंधन कर लिया है. दोनों पार्टियों ने एक-एक सीट आपस में बांट ली है. कैराना लोकसभा सीट पर रालोद ने पूर्व सांसद और हाल ही में समाजवादी पार्टी से पार्टी में शामिल हुईं, तबस्सुम हसन को टिकट दिया है. वहीं, नूरपुर सीट से सपा ने नईमुल हसन को मैदान में उतारा है. गठबंधन के बनते और बिगड़ते समीकरण के मद्देनजर कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी नहीं उतारने का फैसला किया है. कांग्रेस ने राष्ट्रीय लोकदल के उम्मीदवार को समर्थन का ऐलान किया है.
बीजेपी के हुकुम सिंह थे कैराना सीट से सांसद
कैराना लोकसभा सीट पर पहले बीजेपी का कब्जा था. हुकुम सिंह के निधन के बाद यह सीट खाली हुई थी. कैराना लोकसभा सीट 1962 में बनी. 2014 से पहले इस सीट पर बीएसपी का कब्जा था. 1999 से 2004 तक ये सीट राष्ट्रीय लोकदल के खाते में थी. वहीं, नूरपुर विधानसभा सीट बीजेपी विधायक लोकेंद्र सिंह की सड़क हादसे में मौत के बाद खाली हुई थी.
जातीय समीकरण पर एक नजर
कैराना लोकसभा सीट के लिए होने वाले आगामी उपचुनाव में जातीय समीकरणों के लिहाज से सपा-बसपा का गठबंधन भाजपा के सामने अपनी सीट बरकरार रखने के लिए कड़ी चुनौती साबित हो सकता है. गोरखपुर और फूलपुर जैसी प्रतिष्ठापूर्ण सीटों पर पिछले महीने हुए उपचुनाव में सपा के हाथों मिली पराजय के बाद हुए राज्यसभा चुनाव में सपा और बसपा की रणनीति को ध्वस्त करके भाजपा फिलहाल उत्साहित है, लेकिन मुस्लिम और दलित बहुल कैराना सीट पर सपा और बसपा मिलकर उसके सामने फिर कड़ी चुनौती पेश कर सकती हैं.