मयूर शुक्ला/लखनऊ: उत्तर प्रदेश में हो रहे करप्शन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार सख्त हो गई है. भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति के तहत सरकार ने करप्शन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है. जमीन को लेकर मनमाने तरीके से कार्रवाई करते पाए गए 3 दोषी उप जिलाधिकारियों (SDM) को तहसीलदार के पद पर डिमोट कर दिया गया है. सरकार ने तीनों अधिकारियों को राजस्व परिषद से संबद्ध किया. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

फैसला: अस्पतालों में तैनात डॉक्टर मैनेजमेंट कार्यों से होंगे मुक्त, हायर होंगे MBA प्रोफेशनल


पहला केस:
बता दें, एसडीएम प्रयागराज रामजीत मौर्य जब मिर्जापुर में तहसीलदार थे, तब उन्होंने एक जमीन के मामले में नियमों को ताक पर रख मनमाने तरीके से फैसला दिया था. बताया जा रहा है कि यह जमीन कई एकड़ में है और करोड़ों की कीमत रखती है. जब धांधली की शिकायत की गई तो मामले की जांच हुई. इन्वेस्टिगेशन में रामजीत मौर्य को दोषी पाया गया. 


दूसरा केस:
दूसरा केस श्रावस्ती के एसडीएम जेपी चौहान का है. जब वह पीलीभीत में तहसीलदार के पद पर तैनात थे तो एक जमीन के मामले में अपनी मर्जी से फैसला दे दिया था, जो नियमों के विरुद्ध था. यह जमीन भी करोड़ों की है.


BJP का मिशन UP 2022: सरकार के विकास कार्यों के अलावा राम मंदिर निर्माण भी होगा मुद्दा


तीसरा केस:
तीसरा मामला मुरादाबाद के एसडीएम अजय कुमार का है. जब वह ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में थे तो उस दौरान एक जमीन के केस में उन्होंने भी नियमों के खिलाफ कार्रवाई की. बताया जा रहा है कि अधिग्रहण के बाद भी इस जमीन को छोड़ने का काम किया गया, ताकि एक बड़ा व्यक्ति इसपर कब्जा कर सके. 


तीनों मामलों की जांच में तीन एसडीएम दोषी पाए गए. अब लोक सेवा आयोग से परमिशन लेने के बाद तीनों को तहसीलदार के पद पर डिमोट कर राजस्व परिषद से संबद्ध कर दिया गया है.


WATCH LIVE TV