पौड़ी में पले-बढ़े और आगरा में पढ़ें अजीत डोभाल, पूर्व आईबी चीफ कैसे बने कश्मीर से चीन तक कूटनीति के चाणक्य
Ajit Doval News: उत्तराखंड में जन्मे और 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे आजीत डोभाल ने अपने करियर में कई साहसी निर्णय लिए. वो हमेशा सरकार की ढाल बनकर खड़े नजर आए. पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक हो या फिर हाल ही में चीन के साथ सफल कूटनीतिक वार्ता, सही मायने में हो हिंदुस्तान के हीरो हैं.
Ajit Doval News: भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल की हालिया चीन यात्रा ने दोनों देशों के बीच रिश्तों में नई उम्मीदें जगा दी हैं. चीन ने एनएसए डोभाल की यात्रा के बाद संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में व्यापक सहमति का प्रस्ताव दिया है. यह पहल दोनों देशों के बीच लंबे समय से जारी तनाव को कम करने की दिशा में अहम मानी जा रही है.
डोभाल की चीन यात्रा और अहम मुद्दे
चीन में एनएसए अजीत डोभाल ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ विशेष प्रतिनिधि स्तर (SR) की बैठक में भाग लिया. इस दौरान दोनों नेताओं ने छह प्रमुख मुद्दों पर सहमति बनी.
1. सीमा पर शांति और स्थिरता: दोनों देशों ने सीमा पर शांति बहाल करने के उपायों को जारी रखने पर जोर दिया.
2. कैलाश मानसरोवर यात्रा: यात्रा को फिर से शुरू करने की योजना बनाई गई.
3. सीमा पार नदियों का डाटा साझा करना: इससे दोनों देशों में आपसी विश्वास बढ़ेगा.
4. नाथूला दर्रे से व्यापार: इसे फिर से शुरू करने की दिशा में काम किया जाएगा.
5. द्विपक्षीय रिश्तों को सुधारना: रिश्तों को पटरी पर लाने के लिए नए प्रयास तेज किए जाएंगे.
6. सहयोग बढ़ाने के निर्देश: दोनों देशों ने सहयोग बढ़ाने के लिए दिशा-निर्देश तय किए.
आइये आपको बताते हैं कि अजीत ढोबाल कौन हैं
अजीत डोभाल: कूटनीति और सुरक्षा के नायक
अजीत डोभाल उत्तराखंड में जन्मे, पौड़ी में पले बड़े और फिर आगरा में शिक्षा ली. वो 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं जिन्होंने अपने करियर में कई साहसी निर्णय लिए. सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयरस्ट्राइक जैसे बड़े ऑपरेशनों में उनकी भूमिका ऐतिहासिक रही है. उन्होंने डोकलाम विवाद और उत्तर-पूर्व के उग्रवाद को शांत करने में भी अहम योगदान निभाया है.
उग्रवाद-विरोधी अभियानों में सक्रिय भूमिका
अपने करियर की शुरुआत से ही अजीत ढोबाल ने मिजोरम और पंजाब में उग्रवाद-विरोधी अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाई. 1999 में कंधार में हाईजैक हुए IC-814 विमान के यात्रियों की रिहाई में उन्होंने बतौर मुख्य वार्ताकार अहम भूमिका निभाई. 1971 से 1999 के बीच उन्होंने इंडियन एयरलाइंस के 15 से अधिक हाईजैकिंग मामलों को सफलतापूर्वक खत्म किया.
पाकिस्तान में सीक्रेट एजेंट रहे
डोभाल ने पाकिस्तान में सात साल तक गुप्त एजेंट के रूप में काम किया और वहां सक्रिय आतंकी संगठनों की जानकारी जुटाई. एक साल की गुप्त सेवा के बाद, उन्होंने इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग में छह साल तक सेवाएं दीं.
हमेशा सरकार की ढाल बने
1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान खालिस्तानी उग्रवाद को खत्म करने के लिए खुफिया जानकारी जुटाने में भी अजीत ढोबाल ने बड़ी भूमिका निभाई. 1990 में वह कश्मीर गए और कट्टरपंथी उग्रवादियों को सरकार के पक्ष में खड़ा कर दिया. इसके बाद, 1996 में जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने का रास्ता साफ हुआ.
अजीत डोभाल ने अपने करियर का अधिकांश समय इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) में एक सक्रिय फील्ड अधिकारी के रूप में बिताया है. उग्रवाद और आतंकवाद के खिलाफ उनके सख्त रवैये के कारण उन्हें कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं.
2009 में सेवानिवृत्ति के बाद, डोभाल ने विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन की स्थापना की.
इराक में फंसी नर्सों की रिहाई कराई
2014 में, उन्होंने इराक के तिकरित में फंसी 46 भारतीय नर्सों की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित की. इस मिशन के लिए, डोभाल ने 25 जून, 2014 को गुप्त रूप से इराक की यात्रा की और वहां की सरकार से उच्च-स्तरीय संपर्क बनाए। 5 जुलाई, 2014 को नर्सों को सुरक्षित भारत लाया गया.
इसके बाद अजीत ढोबाल ने सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग के साथ म्यांमार में एक सफल सैन्य अभियान का नेतृत्व किया, जो नागालैंड के उग्रवादियों के खिलाफ था.
2019 से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
2019 में डोभाल को फिर से पांच साल के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया और मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया.
अब चीन यात्रा के दौरान डोभाल ने दिखा दिया कि भारत की कूटनीति और सुरक्षा रणनीति कितनी मजबूत है. उनकी इस पहल से दोनों देशों के रिश्तों में सुधार की उम्मीद की जा रही है.
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