Mahrajganj News:  चैत्र नवरात्र का पर्व चल रहा है. ऐसे में मन्दिरों और देवी पाण्डालों में भक्तों की भारी भीड लग रही है .आज हम आपको एक ऐसे मन्दिर के बारे में बताएंगे जहां भारत के साथ-साथ पडोसी मुल्क नेपाल के भक्तों की भी आस्था जुडी हुई है. महराजगंज जिले से लगी भारत नेपाल सीमा पर स्थित मां बनैलिया देवी का यह दरबार भारत के साथ साथ नेपाली नागरिकों से भी भरा पडा है.  इस मंदिर की मान्यता है कि जो भी भक्त यहां मां से अपनी अर्जी लगाता है मां उसकी मुराद जरुर पूरी करती है.


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अज्ञातवास के दौरान पांडव इस मंदिर पर आए
पुजारी का कहना है कि पिंडी के रूप में विराजमान माता बनैलिया की बहुत बड़ी मान्यता है पांडव काल से स्थापित इस मंदिर में अज्ञातवास के दौरान पांडव इस मंदिर पर आए थे. इस मंदिर में हाथी की मूर्ति चढ़ाने का प्रचलन है. जो श्रद्धालु सच्चे मन से अपनी कामना करता है उसकी मुराद माता पूरी करती हैं. इस मंदिर में हिमांचल राजस्थान महाराष्ट्र से पर्यटक भी आते हैं और माता का दर्शन पूजन कर नेपाल की राजधानी काठमांडू में स्थित बाबा पशुपतिनाथ के दर्शन के लिए निकलते हैं. चैत्र रामनवमी में भक्तों की भारी भीड़ रहती है.नेपाल से भी काफी संख्या में श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए  मंदिर में पहुंचते है.


आज जहां मंदिर है पहले वहां जंगल था
मां बनैलिया मंदिर के विषय में मंदिर के प्रबंधक ने बताया कि आज जहां मंदिर है पहले वहां जंगल था. यह जमीन थारू समाज की थी. केदारनाथ मिश्र घने जंगल को काटकर खेती करते थे. एक दिन काम करते- करते दिन  में  सो गए. इस दौरान उन्होंने ने सपना देखा.  मां देवी ने कहा कि जहां खेत है वहां मै निवास करती हुं. उस स्थान पर मंदिर बनवाओ और मैं सबका कल्याण करूंगी. इसके बाद नींद खुलने के बाद केदारनाथ मिश्र घर गए, और दोबरा  वही सपना आया. सुबह उठकर पूरी कहानी गांव वालों को बताई. इसके बाद उसी स्थान पर  1888 में एक छोटा मंदिर बनाया गया. जंगल में मंदिर होने से वनदेवी दुर्गा मंदिर के नाम से जाना जाता था. मगर धीरे-धीरे  मंदिर को बनैलिया के नाम से प्रसिद्ध हो गया.


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