Pratapgarh News: प्रचीन समय में बेल्हा देवी मंदिर के कारण बेल्हा के नाम से पहचान रखने वाले इस जिले को आज हम सब प्रतापगढ़ के नाम से जानते हैं. यह प्रचीन शहर उत्तर प्रदेश का 72वां जिला बना है. प्रतापगढ़ में बेल्हा देवी का मंदिर सई नदी के किनारे पर बसा हुआ है. इस मंदिर का बखान रामचरितमानस में भी होता है. इस सबके साथ यह जिला स्वामी करिपात्री जी महाराज की जन्मस्थली भी है. 


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ऐतिहासिक और राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण
आपको बता दें कि प्रतापगढ़ जिला ऐतिहासिक और राजनीतिक दृष्टि से बेहद ही महत्वपूर्ण रहा है. इस जिले की प्राचीनता रामायण और महाभारत के काल से रही है. क्योंकि भारतीय पुरातात्विक व‍िभाग को यहां पर खुदाई के दौरान कई ऐसे साक्ष्य मिले हैं, जो इस जिले को इतना प्राचीन शहर बनाता है. वहीं उत्‍तर प्रदेश की राजनीत‍ि में भी एक अलग पहचान है. इस जिले में प्रमुख राजनेता राजा भैया, राजकुमारी रत्ना सिंह और प्रमोद तिवारी रहे हैं.


खुदाई में मिले प्राचीन काल के सबूत
यूपी के इस जनपद में खुदाई के दौरान मध्य पाषाण संस्कृति से जुडे होने का सबूत मिला है. यहां हुई खुदाई के दौरान बड़ी संख्या में प्राचीन काल के मानव कंकाल और पाषाण काल के सबूत मिले हैं. पौराणिक कथाओं की बात करें तो प्रतापगढ़ का इलाका अयोध्या के अधीन रहा है. दिलीप के शासनकाल में यह क्षेत्र कोसल साम्राज्य के अधीन था. यहां मौजूद पंडवा, अजगरा, मौदहा जैसे प्राचीन जगहों को सब महाभारत के पांडवों से जोड़कर देखते हैं. यहां पर ऐसी मान्यता है कि प्रभु श्रीराम वनागमन के समय अयोध्या से दक्षिण की ओर बेल्हा की पौराणिक नदी सई के तट से होकर ही गए थे. 


रामचरितमानस में है जिक्र
यहां पर ऐसी मान्यता है कि प्रभु श्रीराम वनागमन के समय अयोध्या से दक्षिण की ओर बेल्हा की पौराणिक नदी सई के तट से होकर ही गए थे. इस बात का रामचर‍ितमानस में जिक्र भी हुआ है. ऐसा बताया जाता है कि रामचर‍ितमानस में भगवान श्रीराम की वनवास यात्रा के दौरान यूपी की जिन पांच प्रमुख नदियों का जिक्र आता है. उन पांचों में से एक प्रतापगढ़ में स्थित सई नदी भी है. महाभारत के समय पर प्रतापगढ़ के रानीगंज अजगरा में ही राजा युधिष्ठिर व यक्ष के बीच वह संवाद हुआ था. बताया जाता है कि प्रतापगढ़ के भयहरणनाथ धाम में ही भीम व अन्य सभी पांडवों ने मिलकर राक्षस बकासुर के आतंक से सभी आम जनों को मुक्ति दिलाई थी.


जन्‍मस्‍थली और तपोस्थली
प्रतापगढ़ जिले की पट्टी विधानसभा क्षेत्र से ही देश के पहले प्रधानमंत्री रहे पंडित जवाहरलाल नेहरू ने पदयात्रा कर अपना राजनीतिक कैरियर का आरंभ किया था. इन सबके साथ इस जिले का संबंध धर्मसम्राट रहे स्वामी करपात्री जी महाराज से भी रहा है. क्योंकि यह जिला उनका जन्मभूमि रहा है. तो वहीं यह जि‍ला महात्मा बुद्ध की तपोस्थली के रूप में भी जाना जाता है.


आंवला की नगरी 
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में कुल आंवला उत्पादन का 80 फीसदी यहीं पर होता है. क्योंकि जिले का मुख्य उत्पाद आंवला ही है. कोरोना काल में खूब मांग वाले आंवला को आचार, मुरब्बा, आंवले की केंडी, जूस और उसकी बर्फी का बड़े स्तर पर उत्पादन होता है.


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