Sonbhadra ka Itihaas: महाभारत के जरासंध की नगरी जहां छिपा है सोने का विशाल भंडार, कहलाई दूसरी काशी, यूपी का दूसरा सबसे बड़ा जिला
Sonbhadra ka Itihaas: यूपी का वो आखिरी जिला, जिसे किलों का शहर कहा जाए तो गलत नहीं है. यह शहर ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को अपने आप में समेटे हुए हैं. वह शहर कोई और नहीं बल्कि सोनभद्र है, जिसका जिला मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज है. जानिए इस शहर का पूरा इतिहास
Sonbhadra ka Itihaas: उत्तर प्रदेश का वो आखिरी जिला, जिसका नाम भले ही सोनभद्र हैं, लेकिन इस नाम का कोई जगह नहीं है. इसे सोने का भंडार भी कहा जाता है. इतना ही नहीं, जवाहर लाल नेहरू ने तो इसे यूपी का स्विट्जरलैंड भी बताया था. आज भी जिला मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज को जाना जाता है. यूपी की आखिरी लोकसभा सीट भी रॉबर्ट्सगंज ही है. यह शहर धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से बेहद अहम है. यहां रामायण और महाभारत के साक्ष्य मौजूद हैं. इस शहर को भारत की ऊर्जा राजधानी कहा जाता है.
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, महाभारत युद्ध में जरासंध ने कई शासकों को यहां कैदी बनाकर रखा था. यहां विंध्य क्षेत्र में प्राकृतिक सुंदरता को समेटे खूबसूरत प्राकृतिक संपदा के अलावा पावर प्लांट, फॉसिल्स पार्क, प्राचीन मंदिर, पौराणिक और ऐतिहासिक किले, भव्य झरने और रोमांचित कर देने वाली गुफाएं हैं. यह जिला एक औद्योगिक क्षेत्र है. इसमें बॉक्साइट, चूना पत्थर, कोयला, सोना जैसे कई खनिज हैं.
क्या है शहर का इतिहास?
वैसे तो सोनभद्र यूपी में है, लेकिन इसकी सीमा मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ से मिलती है. खनन के मामले में ये जिला मशहूर है, क्योंकि यहां पर कैमूर की पहाड़ियों में खनिज की खुदाई होती है. जहां भारी मात्रा में खनिज का खनन होता है. 11वीं से 13वीं शताब्दी के दौरान यह जिला दूसरी काशी के रूप में फेमस था. 9 वीं शताब्दी ईसा पूर्व में, ब्रह्मदत्त वंश के नागाओं ने इसे विभाजित किया था. 8वीं और 7वीं शताब्दी ईसा पूर्व में, इसका मौजूदा इलाका कौशल और मगध में था. गुप्त काल से पहले कुशाण और नागा भी इस इलाके की सर्वोच्चता रखते थे. आज यह जिला 6,788 वर्ग किमी क्षेत्रफल के साथ प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा जिला है.
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कैसे बना सोनभद्र शहर?
सोनभद्र जिले को मिर्जापुर के दक्षिणांचल से अलग करके बनाया गया है. 4 मार्च 1989 को यूपी के तत्कालीन सीएम नारायण दत्त तिवारी ने सोनभद्र के रूप में नया जिला बनाने का ऐलान किया था. इसके बाद रॉबर्ट्सगंज को नए जिले का मुख्यालय बनाया गया. शहर का नाम रॉबर्ट्सगंज पड़ने के पीछे की कहानी भी दिलचस्प है.
कैसे पड़ा अंग्रेजी नाम?
ब्रिटिश हुकूमत ने कई शहरों और कस्बों का नामकरण अपनी सुविधा के हिसाब से किया था. ऐसे ही 1928 में ‘टाड़ का डौर’ नाम के इलाके का नाम बदलकर रॉबर्ट्सगंज कर दिया. रिपोर्ट्स की मानें तो फ्रेडरिक रॉबर्ट्स जो कि 1885 से 1893 तक भारतीय ब्रिटिश सेना के कमांडर इन चीफ थे. सेना के इन फील्ड मार्शल फ्रेडरिक रॉबर्ट के नाम पर ही इसका नाम रखा गया. भले ही समय-समय पर इसका नाम बदलने की मांग हुई हो, लेकिन आज भी इसका नाम नहीं बदला गया.
शहर में घूमने वाली जगहें
यूपी के पूर्वांचल में सोनभद्र को पर्यटन क्षेत्र में चौथा स्थान मिला हुआ है. जहां वाराणसी आने वाले पर्यटक घूमने पहुंचते हैं. यहां का फॉसिल्स पार्क दुनिया का सबसे बड़ा पार्क भी है. यहां के फेमस टूरिस्ट प्लेस में विजयगढ़ फोर्ट, सोन नदी का नजारा, मुक्खा फॉल्स, सोन इको प्वॉइंट, सोन पहाड़ी का नाम शामिल है. इस जिले को किलों का शहर भी कहें तो गलत नहीं होगा. एक फेमस धारावाहिक चंद्रकांता की कहानी का भी इस जिले और यहां के किले से खास नाता है. यहां आने वाले पर्यटकों को नौगढ़ और अगोरि का किला खूब भाता है.
जिले में सोने का भंडार
सोनभद्र जिले में भारी मात्रा में छिपे सोने मिलने की खबर है. कहा जा रहा है कि मौजूदा कीमत के हिसाब से यहां तकरीबन 12 लाख करोड़ रुपये का सोना छिपा हुआ है. सोनभद्र की सोन पहाड़ी में भारी मात्रा में सोना पूरे विश्व की निगाहों में चमक उठा था. भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के सर्वे में इन पहाड़ियों में तीन हजार टन से ज्यादा सोना दबे होने की संभावना व्यक्त की थी.