अर्जुन नहीं, द्रौपदी को पांडवों में ये था सबसे प्रिय, जिसने पांचाली का हर वचन निभाया
पांच पांडवो में से भले ही अर्जुन ने द्रोपदी के स्वयंवर में जीता था पर क्या आप जानते है कि पांचों भाइयों में सबसे ज्यादा द्रौपदी से कौन प्रेम करता था. कौन था वो जिसने द्रौपदी की हर इच्छा पूरी की. उसके बोलने से पहले पूरी की है आज के लेख में हम इसके बारे में ही जानने वाले है.
पांच पांडवो में से भले ही अर्जुन ने द्रोपदी के स्वयंवर में जीता था पर क्या आप जानते है कि पांचों भाइयों में सबसे ज्यादा द्रौपदी से कौन प्रेम करता था. कौन था वो जिसने द्रौपदी की हर इच्छा पूरी की. उसके बोलने से पहले पूरी की है आज के लेख में हम इसके बारे में ही जानने वाले है. आपने द्रौपदी स्वयंवर की कथा जरूर सुनी या पढ़ी होगी होगी. इस कथा में अर्जुन ने मछली का आंख को निशाना बनाकर द्रौपदी का वरण किया था, उस समय पांडव वनवास के दिन काट रहे थे.
माता कुंती की आज्ञा अनुसार
पांडवो में से अर्जुन ने द्रौपदी को स्वंवर में द्रौपदी को जीता था. माता कुंती की आज्ञा अनुसार द्रोपदी पांचों भाइयों की पत्नी थी, पर क्या आप जानते है कि पांचों पांडवो में द्रौपदी किससे सर्वाधिक प्रेम करती थी. आप कहेंगे यकीनन अर्जुन के लिए क्यूंकि अर्जुन ने ही स्वयंवर में द्रौपदी को जीता था. या फिर धर्मराज युधिष्ठिर ? या शक्तिशाली भीम ? या फिर सौंदर्य से पूर्ण नकुल ? या कुशाग्र बुद्धि सहदेव?
लोक कथाओं में प्रचलित
वैसे लोक कथाओं की माने तो पांडवों में द्रौपदी को सबसे प्रिय अर्जुन थे. लकिन फिर सवाल खड़ा होता है कि क्या अर्जुन भी द्रौपदी को पांचों पांडवो में सबसे अधिक प्रेम करता था ? इसका जवाब है नहीं क्योंकि अर्जुन कि एक और पत्नी थी सुभद्रा (श्रीकृष्ण की बहन) एवम् वह सुभद्रा के साथ ज्यादा सहज महसूस करता था और उसी के साथ ज्यादा से ज्यादा समय गुजारता था. यहां अर्जुन की बात खत्म हो गई लेकिन अभी भी सवाल वही है कि कौन पांडव द्रौपदी से सबसे अधिक प्रेम करता था ?
द्रौपदी से सबसे अधिक प्रेम
तो अब सवाल आता है कि कौन पांडव द्रौपदी से सबसे अधिक प्रेम करता था ?? इसका जबाब है भीम अब आप कहेंगे कि वो कैसे दरअसल भीन ने द्रोपदी की हर वो इच्छा पूरी की है जो उन्होंने जताई जैसे कि कुबेर के बगीचे से द्रौपदी के लिए फूल लाना हो तो वह भीम लाए. जब अज्ञातवास के दौरान द्रौपदी को रानी सुदेशना की दासी बन कर रहना पड़ा था तो वो भीम ही थे जो द्रौपदी की इस हालत को देखकर विवशता बस रोते थे.
भीम ने किया था कीचक का वध
कीचक का भी वध भीम ने किया था क्योकिं उसने द्रोपदी के चरित्र को कलंकित करने की कोशिश की थी. जयद्रथ को सजा दी क्यूंकि उसने भी द्रौपदी के चरित्र को कलंकित करने की कोशिश की थी
कीचक के द्वारा किए गए दुष्कृत्य के बारे में बताया, तो युधिष्ठिर ने उन्हें समझाया की क़िचक को मारने से उनके अज्ञातवास के बारे में पता चल जाएगा. इसलिए अभी के लिएअपमान को सहन कर लो. पर जब भीम को यह बात पता चली तो उन्होंने रात में कीचक् के कक्ष में जाकर उसको जान से मारकर द्रोपदी के अपमान का बदला लिया.
दुशासन और दुर्योधन
जब शकुनि द्वारा रचे चौसर के खेल में दुशासन और दुर्योधन अपनी पूरी नीचता पर उतर आए थे. द्रौपदी की बेइज्जती कर रहे थे तो सभी मूक बनकर बैठे रहे. ये सब देखकर भीम बीच सभा में से उठकर सबके सामने प्रतिज्ञा करते हैं, कि जब तक वो दुशासन की छाती का लहू और दुर्योधन की जंघा का लहू मिला नहीं ले देता तब तक अपने पूर्वजों को मुंह नहीं दिखायेगा.