मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र करने के बाद गैंगरेप वाली घटना ने 42 साल पहले यूपी में विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार के वक्त घटा ऐसा वाकया फिर से याद दिला दिया है. वो घटना बागपत में घटी थी और उसका इल्जाम भी पुलिसकर्मियों पर था. जैसे मणिपुर की दो कुकी महिलाओं का नग्न कर घुमाने का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें महिलाएं बुरी तरह रो रही हैं, भीड़ उनका मखौल उड़ा रही है. मणिपुर पुलिस ने इस वीभत्स कांड में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है.


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बागपत की घटना 42 साल पहले यूपी के बागपत जिले में 18 जून 1980 को हुई थी. तब की केंद्र की इंदिरा गांधी सरकार और उत्तर प्रदेश में तब की विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार बुरी तरह हिल गई थी. खबरों के मुताबिक, बागपत में एक महिला पति और दोस्तों के साथ गाजियाबाद से एक विवाह समारोह के लिए कार से बागपत के लिए जा रही थीं. एक जगह ढाबे पर चाय पीने के दौरान बागपत पुलिस थाने के कुछ सिपाही महिला से छेड़छाड़ करने लगे तो उसके पति और दोस्तों ने विरोध किया.


इससे बौखलाए एक दर्जन पुलिसकर्मियों ने तीनों को गोली मार दी. पुलिसकर्मियों का वहशीपन यहां भी खत्म नहीं हुआ. पुलिस थाने में महिलाओं से गैंगरेप किया गया. दारोगा ने महिला को निर्वस्त्र करके बागपत शहर में घुमाया. पीड़ित महिला के जिस्म पर 25 घावों के निशान थे. थाने के अंदर दर्जनों पुलिसवालों ने उसका गैंगरेप किया था.


किसान नेता चौधरी चरण सिंह ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया. मजबूरी में सरकार को सीबीसीआईडी जांच बैठाई. जांच पूरी हुई तो 6 पुलिसकर्मी दोषी पाए गए, इसमें दो को फांसी की सजा हुई, जबकि 4 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई.ये ऐतिहासिक फैसला देने वाले जज वीडी दुबे ने कहा था, ये घटना पुलिस राज के आदिम दिनों की याद दिलाती है, जब लोग 'निरंकुश' की दया पर रहते थे, समाज को जिंदा रखे के लिए ऐसी बुराइयों को खत्म करना जरूरी है.