सुल्तानपुर: आपको यह जान कर आश्चर्य होगा कि योगी सरकार के एक मंत्री को ढंग से हिंदी तक लिखनी नहीं आती, लेकिन ऐसे मंत्री स्कूलों में पहुंच कर शिक्षा की गुणवत्ता को परखने लगते हैं. एक तरफ योगी सरकार साक्षरता बढ़ाने के लिए लाखों जतन कर रही है. पढ़े-लिखे शिक्षकों का चयन किया जा रहा है, इसके लिए शिक्षकों को कई चरणों की परीक्षा पास करनी पड़ती है. लेकिन, एक मंत्री और विधायक सिर्फ सत्ता में होने की वजह से ऐसे शिक्षकों पर रौब दिखाने के लिए स्कूल पहुंच जाते हैं. स्कूली छात्रों से सवाल-जवाब करते हैं और शिक्षकों की क्लास भी लगाने से बाज नहीं आते हैं.


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ताजा मामला सुल्तानपुर जिले से है. जिले के प्रभारी मंत्री जय प्रताप सिंह 5 और 6 जुलाई को सुल्तानपुर के दो दिवसीय दौरे पर थे. इस बीच उन्होंने एक सरकारी स्कूल का निरीक्षण किया. स्कूल निरीक्षण के बाद जो कुछ उन्होंने लिखा उसमें तमाम गलतियां थीं. ये ऐसी गलतियां थीं जिसे कोई बच्चा भी पकड़ सकता है.


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प्रभारी मंत्री जय प्रताप सिंह ने दूबेपुर अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय तुराबखानी का औचक निरीक्षण किया. उन्होंने यहां पठन-पाठन का जायजा लिया. उन्होंने छात्र छात्राओं से पुस्तकें पढ़वाकर और कविताएं सुनकर शिक्षा की गुणवत्ता को परखा. पठन- पाठन की गुणवत्ता अच्छी पाए जाने पर उन्होंने प्रशंसा प्रमाण पत्र दिया.


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यहीं मंत्री जी से बड़ी चूक हो गई. उन्होंने रजिस्टर पर जो कुछ लिखा उसमे खामियां थीं. जैसे कि मंत्री ने निरीक्षण को 'निरिक्षण' लिखा. अध्यापिका को 'अवभापिका' और स्वच्छता को 'स्क्छ्ता' लिखा. यही नहीं, उन्होंने शिक्षिका का नाम भी गलत लिखा. ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि जब मंत्री जी इस प्रकार के ज्ञानी हैं तो उन्होंने उस शिक्षिका की गुणवत्ता को कैसे परखा?