मैनपुरी: यूपी में जहां एक ओर पंचायत चुनाव की तैयारियां चल रही हैं. वहीं, दूसरी ओर यूपी में मैनपुरी जिले के एक गांव में पंचायत चुनाव से पहले अमेरिकी चुनाव की तर्ज पर प्रधान प्रत्याशी का चुनाव हुआ है. इसके लिए बाकायदा ग्रामीणों ने मतदान किया. मतदान के लिए बैलेट पेपर छपवाए गए.  गांव के एक मंदिर परिसर में प्रधान प्रत्याशी के लिए आतंरिक चुनाव कराया गया है. इस चुनाव में जीतने वाला व्यक्ति ही प्रधानी का चुनाव लड़ेगा.


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क्या है पूरा मामला
मैनपुरी जिले में विकास खंड सुल्तानगंज के गांव औरंध में ग्रामीणों ने प्रधान प्रत्याशी के लिए चुनाव कराया. दरअसल, ग्राम पंचायत औरंध के बुजुर्गों का मानना है कि अगर गांव के ही कई प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरेंगे तो सभी तो जीत नहीं हासिल कर पाएंगे. इसे लेकर आपस में रंजिश जरूर हो जाएगी. ग्राम पंचायत औरंध में 12 गांव और मजरे शामिल हैं.  कई बार औरंध गांव में अधिक प्रत्याशी होने से दूसरे गांव का प्रत्याशी प्रधान चुना गया है.


निकाला गया ये समाधान
गांव के ही प्रत्याशी को जिताने के लिए गांव के आंतरिक चुनाव कराने का फैसला किया. बताया जा रहा है कि इस चुनाव के बाद अब गांव से एक प्रत्याशी ही चुनाव मैदान में होगा. ऐसे में लंबे मंथन के बाद ग्रामीणों ने प्रत्याशी चयन के लिए मतदान कराने का निर्णय लिया.


प्रधान प्रत्याशी के लिए हुए दो-दो हाथ
आंतरिक चुनाव के लिए विधिवत तीन प्रत्याशियों के फोटोसहित मतपत्र छपवाए गए. इसमें गांव के ही सत्यपाल सिंह, सुनील चौहान और अखंड प्रताप ने  प्रधान प्रत्याशी के लिए दो-दो हाथ किए.  दोपहर एक बजे तक गांव के अलग-अलग पांच स्थानों पर चले मतदान में कुल 1138 ग्रामीणों ने प्रधान प्रत्याशी के चयन के लिए मतदान किया.


शाम को घोषित हुए चुनाव के नतीजे
शाम तक गांव स्थित मंदिर पर वोटों की गिनती की गई। इसमें अखंड प्रताप को 724, सत्यपाल को 384 और सुनील चौहान को केवल 30 मत प्राप्त हुए. इसके बाद गांव के बुजुर्गों ने अखंड प्रताप को प्रधान प्रत्याशी चुने जाने का निर्णय लिया. गांव के बुजुर्गों ने कहा कि इस चुनाव नतीजे के विरुद्ध अगर कोई प्रधानी चुनाव लड़ता है तो उसका बहिष्कार किया जाएगा.


अमेरिकी चुनावी प्रक्रिया
'प्राइमरी' इलेक्शन अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की पहली सीढ़ी है. विभिन्न राज्यों में प्राइमरी चुनाव के जरिए पार्टियां अपने प्रबल दावेदार का पता लगाती हैं. ये प्रक्रिया दो तरीकों से होती है.


प्राइमरी: ये तरीका ज्यादा परंपरागत है. ज्यादातर राज्यों में इसका इस्तेमाल होता है. इसमें आम नागरिक हिस्सा लेते हैं और पार्टी को बताते हैं कि उनकी पसंद का उम्मीदवार कौन है. प्राइमरी में बैलट के जरिए वोटिंग होती है.


-कॉकस: इस प्रक्रिया का इस्तेमाल उन राज्यों में होता है जहां पर पार्टी का गढ़ होता है. कॉकस में ज्यादातर पार्टी के पारंपरिक वोटर ही हिस्सा लेते हैं. इसमें पार्टी के सदस्य जमा होते हैं. सार्वजनिक स्थल पर उम्मीदवार के नाम पर चर्चा की जाती है, इसके बाद वहां मौजूद लोग हाथ उठाकर उम्मीदवार चुनते हैं.


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