UP Politics: हाईकोर्ट ने गैंगस्टर मामले में सपा सांसद अफजाल अंसारी को मिली चार साल की सजा को रद्द कर दिया है. जिसके बाद अब अफजाल की संसद सदस्यता बरकरार रहेगी लेकिन कई और सांसद भी ऐसे हैं, जिनकी सांसदी पर तलवार लटकी हुई है.  इन नेताओं पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, अगर इनमें दो साल से ज्यादा सजा हुई तो इनकी सदस्यता खत्म हो सकती है. 


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कौन-कौन शामिल 
जौनपुर से बाबू सिंह कुशवाहा (सपा), सुल्तानपुर से रामभुआल निषाद (सपा), चंदौली से वीरेंद्र सिंह (सपा), बस्ती से राम प्रसाद चौधरी (सपा), आजमगढ़ से धर्मेंद्र यादव (सपा), हाथरस से अनूप प्रधान (बीजेपी), फतेहपुर सीकरी से राजकुमार चाहर (बीजेपी), बिजनौर से चंदन चौहान (रालोद), बागपत राजकुमार सांगवान (रालोद), सहारनपुर से इमरान मसूद और  नगीना से चंद्रशेखर आजाद का नाम शामिल है. 


धर्मेंद्र यादव के खिलाफ 2023 में एक केस में आरोप तय हो चुके हैं, अगर इसमें दो साल की सजा होती है तो उनकी सांसदी जा सकती है. नगीना सांसद चंद्रशेखर के खिलाफ 36 केस दर्ज हैं. चार मामलों में आरोप तय हो चुके हैं. अगर इनमें दो साल से ज्यादा की सजा हुई तो सांसदी खतरे में पड़ सकती है. जौनपुर से  सांसद बने बाबू सिंह कुशवाहा पर भी एनआरएचएम घोटाला समेत कई मामले दर्ज हैं. इनमें 8 में आरोप तय हो चुके हैं. 


चंदौली सपा सांसद वीरेंद्र सिंह पर भी गंभीर धाराओं में 3 केस दर्ज हैं. इमरान मसूद पर भी मनी लॉन्ड्रिंग समेत 8 केस दर्ज हैं. हाथरस सपा सांसद अनूप प्रधान पर भी गंभार धारा में केस दर्ज है. चंदन चौहान और राजकुमार सांगवान पर भी आपराधिक केस दर्ज हैं लेकिन इनमें आरोप तय नहीं हुए हैं. 


क्या है नियम 
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 8 (3) के तहत अगर किसी सांसद को दो या दो साल से ज्यादा की सजा होती है तो उसकी सदस्यता जा सकती है. साथ ही वह 6 साल के लिए चुनाव लड़ने के लिए भी अयोग्य हो जाएगा.


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