Uttar Pradesh Bulldozer Politics: उत्तर प्रदेश में बुलडोजर और भेड़िया ट्रेंड में है. इसी ट्रेंड को लेकर सियासत भी तेज हो गई है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री सीएम योगी आदित्यनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बीच बुधवार को दिन भर ऐसी ही जुबानी जंग देखने को मिली. अखिलेश ने बुधवार शाम को ट्वीट कर कहा, अगर आप और आपका बुलडोज़र इतना ही सफल है तो अलग पार्टी बनाकर ‘बुलडोज़र’ चुनाव चिन्ह लेकर चुनाव लड़ जाइए. आपका भ्रम भी टूट जाएगा और घमंड भी. वैसे भी आपके जो हालात हैं, उसमें आप भाजपा में होते हुए भी ‘नहीं’ के बराबर ही हैं, अलग पार्टी तो आपको आज नहीं तो कल बनानी ही पड़ेगी.



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अखिलेश ने इससे पहले ट्वीट कर कहा था, "बुलडोजर में दिमाग नहीं होता है, स्टेयरिंग होता है उसमें. उत्तर प्रदेश की जनता या दिल्ली वाले कब किसका स्टेरिंग बदल दें " अखिलेश के इस बयान के जवाब में सीएम योगी ने कहा था, बुलडोजर पर हर किसी का हाथ फिट नहीं होता है, बुलडोजर चलाने के लिए हिम्मत चाहिए. 



दरअसल, अखिलेश और सीएम योगी के बीच यह सियासी संग्राम मंगलवार रात को शुरू हुआ. बुलडोजर को लेकर अखिलेश यादव ने कहा कि अगर 2027 में समाजवादी पार्टी सत्ता में आई तो बुलडोजर का रुख गोरखपुर की ओर मोड़ देंगे. उनके इस बयान पर सियासी घमासान छिड़ गया. सीएम योगी ने अखिलेश को जवाब देने में देर नहीं लगाई.


सीएम योगी ने प्रयागराज दौरे पर कहा, बुलडोजर पर हर किसी के हाथ फिट नहीं होते हैं. बुलडोजर चलाने के लिए जिगरा चाहिए. उन्होंने 2017 के पहले प्रदेश में सपा के शासनकाल को चचा-भतीजे के भेड़ियाराज की संज्ञा दी और वसूली रैकेट चलने की बात कही. अखिलेश के माफिया मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद को लेकर नरमी का सवाल उठाते हुए कहा कि आज ऐसी सरकार है कि जिसे देखकर ही माफिया की पैंट गीली हो जाती है.  



शाम को अखिलेश ने फिर ट्वीट किया. उन्होंने कहा, बुलडोजर पर इतना ही यकीन है तो सीएम योगी नई पार्टी बनाकर बुलडोजर को इलेक्शन सिंबल क्यों नहीं बना लेते. उनका अहंकार और भ्रम भी दूर हो जाएगा. देखना होगा कि दोनों शीर्ष नेताओं के बीच यह सियासी जुबानी जंग कहां तक जाएगी.