15 पेज की रिपोर्ट में 12 बड़ी वजहें, यूपी बीजेपी की हार की समीक्षा में चौंकाने वाले खुलासे
UP Politics: लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान उत्तर प्रदेश की 80 में से 44 सीटों पर भाजपा को हार झेलनी पड़ी है. अब बीजेपी ने इन सीटों पर हार के कारणों की खोज की है. बीजेपी ने 80 लोकसभा में 40 टीमों ने समीक्षा की. रिपोर्ट के मुताबिक सभी क्षेत्रों में बीजेपी के वोटों में गिरावट दर्ज की गई.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की हार का जो सबसे बड़ा कारण सामने आया है, वह है पार्टी को दलित वोटों में कमी आना और ओबीसी वोटों में थोड़ा खिसकाव होना. अखिलेश यादव का पीडीए का नारा और राहुल गांधी का संविधान हाथ में लेकर रैलियां करना सबसे बड़ा गेमचेंजर इस चुनाव में साबित हुआ. उत्तर प्रदेश में बीजेपी की हार की समीक्षा रिपोर्ट तैयार की गई है. पेपर लीक, संविदा की नियुक्तियां और संविधान का मुद्दा हावी रहा. 15 पेज की रिपोर्ट में बीजेपी की हार के 12 कारण गिनाए गए हैं.
हार के 12 कारण...
1- संविधान संशोधन को लेकर बीजेपी नेताओं की टिप्पणी. विपक्ष का "आरक्षण हटा देंगे" का नैरेटिव बना देना.
2- प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक का मुद्दा.
3- सरकारी विभागों में संविदा कर्मियों की भर्ती और आउटसोर्सिंग का मुद्दा.
4- बीजेपी के कार्यकर्ताओं में जिलो में सरकारी अधिकारियों को लेकर असंतोष की भावना.
5- जिले लेवल पर आपसी लड़ाई का जिक्र जिसमे विधायक, प्रत्याशी और जिलाध्यक्ष के भी नाम शामिल .
6- बीएलओ द्वारा बड़ी संख्या में मतदाता सूची से नाम हटाए गए.
7- टिकट वितरण में जल्दबाजी की गई जिसके कारण भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं का उत्साह कम हुआ.
8- थाने और तहसीलों को लेकर काम न होने से कार्यकर्ताओं में नाराजगी.
9- सवर्ण मतदाता कुछ लोकसभा में भाजपा से दूर चले गए.
10- पिछड़ों में कुर्मी, कुशवाहा, शाक्य का भी झुकाव नहीं रहा.
11- अनुसूचित जातियों में पासी व वाल्मीकि मतदाता का झुकाव सपा- कांग्रेस की ओर चला गया.
12- बसपा के प्रत्याशियों ने मुस्लिम व अन्य के वोट नही काटे बल्कि जहां बीजेपी समर्थक वर्गों के प्रत्याशी उतारे गए वहां वोट काटने में सफल रहे.
करीब 500 कार्यकर्ताओं से बात
80 लोकसभा में 40 टीमों ने समीक्षा की. एक लोकसभा में करीब 500 कार्यकर्ताओं से बात की गई. करीब 40000 कार्यकर्ताओं से बातचीत की गई. बीजेपी के राष्ट्रीय पदाधिकारी की बैठक में रिपोर्ट रखी जाएगी. रिपोर्ट के मुताबिक सभी क्षेत्रों में बीजेपी के वोटों में गिरावट दर्ज की गई. वोट शेयर में 8 फ़ीसदी की गिरावट हुई. ब्रज, पश्चिम, कानपुर-बुंदेलखंड, अवध, काशी, गोरखपुर क्षेत्र में 2019 के मुकाबले सीटें कम हुईं हैं.
सपा की जाति की रणनीति
इंडिया गठबंधन इस बार बड़ी तादाद में दलित वोटर अपनी तरफ़ खींचने में तो कामयाब रहा ही साथ ही ओबीसी वोटरों का झुकाव भी इस तरफ देखने को मिला. समाजवादी पार्टी ने इस बार टिकट बंटवारे में भी सभी जातियों का ध्यान रखा.
अखिलेश खेल गए खेला
इस बार अखिलेश यादव ने गठबंधन में अपने हिस्से आईं 62 में से सिर्फ़ 5 सीटों पर यादव और 4 सीटों पर मुसलमान उम्मीदवार उतारे जबकि 17 दलित प्रत्याशियों को मैदान में उतारा. उन्होंने 9 सवर्ण और कुल 30 ओबीसी उम्मीदवारों को टिकट दिया.
2024 में किसे मिले कितने वोट
कास्ट सपा+ कांग्रेस भाजपा+बसपा
अपर कास्ट 16 % 79 % 1%
यादव 82 % 15% 2%
कुर्मी - कोइरी 34% 64 % 2 %
अन्य ओबीसी 34 % 59 % 3%
जाटव 25 % 24 % 44%
नॉन जाटव 56 % 29 % 15 %
मुस्लिम 92 % 2% 5 %
यादव और मुस्लिम वोटर
92 प्रतिशत मुसलमानों और 82 प्रतिशत यादवों ने इंडिया ब्लॉक को तो वोट दिया, जबकि गैर-जाटव दलित वोटों का 56 प्रतिशत वोट भी गठबंधन ने हासिल किया. यही नहीं 25 प्रतिशत जाटव दलितों ने गठबंघन को वोट दिया है. अखिलेश यादव के पीडीए की चाल का सबसे सफल प्रयोग अयोध्या में देखने को मिला. अखिलेश यादव ने फैजाबाद (अयोध्या) के सामान्य सीट पर दलित प्रत्याशी अवधेश प्रसाद को उतारा था. अवधेश ने बीजेपी के लल्लू सिंह को 54 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था.
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