`अच्छे दिन कब आएंगे?`, लाल किले पर पीएम मोदी के भाषण को लेकर सियासत गरमाई
UP Politics : बसपा प्रमुख मायावती ने लिखा, पीएम द्वारा कल 15 अगस्त को लाल क़िले से बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर द्वारा सभी धर्मों का एक-समान सम्मान के धर्मनिरपेक्षता के सिद्धान्त की संवैधानिक व्यवस्था को `कम्युनल` कहना क्या उचित?
UP Politics : स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी के दिए भाषण को लेकर सियासत शुरू हो गई है. बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने पीएम मोदी के यूसीसी को लेकर तीखा हमला बोला है. बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि सरकार के लिए संविधान के हिसाब से धर्मनिरपेक्षता का पालन करना चाहिए. यही सच्ची देश भक्ति और राजधर्म है.
मायावती ने साधा निशाना
बसपा प्रमुख मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, पीएम द्वारा कल 15 अगस्त को लाल क़िले से बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर द्वारा सभी धर्मों का एक-समान सम्मान के धर्मनिरपेक्षता के सिद्धान्त की संवैधानिक व्यवस्था को 'कम्युनल' कहना क्या उचित? सरकार संविधान की मंशा के हिसाब से सेक्युलरिज्म का पालन करे यही सच्ची देशभक्ति व राजधर्म. मायावती ने आगे लिखा, इतना ही नहीं बल्कि पीएम द्वारा देश की अपार गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई व पिछड़ेपन आदि की ज्वलन्त राष्ट्रीय समस्याओं पर इससे प्रभावित करीब सवा सौ करोड़ लोगों में उम्मीद की कोई नई किरण नहीं जगा पाना भी कितना सही? लोगों के 'अच्छे दिन' कब आयेंगे?
पीएम मोदी का लंबा-चौड़ा भाषण
मायावती ने लिखा, पीएम का 78वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल क़िले से दिया गया भाषण काफी लम्बा-चौड़ा, किन्तु करोड़ों दलितों व आदिवासियों के आरक्षण आदि के हक की रक्षा के मामले में अत्यन्त निराशाजनक जबकि सुप्रीम कोर्ट के दिनांक 1 अगस्त 2024 के निर्णय के बाद यह अति खास व ज्वलन्त मुद्दा. उन्होंने आगे लिखा, इस बारे में भाजपा सांसदों को दिया आश्वासन भी पीएम को याद नहीं रहा, जबकि देश के SC-ST वर्गों को ऐसा ही जातिवादी रवैया अपनाने की कांग्रेस से भी बड़ी शिकायत, क्योंकि इस पार्टी ने भी इनके उपवर्गीकरण व उन्हें बांटने पर भाजपा की तरह ही अभी तक चुप्पी साध रखी है, जो अनुचित.
भाषण में क्या बोले थे पीएम मोदी
बता दें कि 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने धर्म निरपेक्ष नागरिक संहिता की पैरवी करते हुए भारत के विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प और एक राष्ट्र एक चुनाव की पैरवी की थी. पीएम मोदी ने कहा था कि देश का बहुत बड़ा वर्ग मानता है कि जिस नागरिक संहिता को लेकर हम जी रहे हैं वो सचमुच सांप्रदायिक और भेदभाव करने वाली संहिता है. मायावती से पहले कांग्रेस ने भी पीएम मोदी के इस बयान पर हमला बोल चुकी है.
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