Mayawati-Akash Anand: कौन हैं आकाश आनंद, मायावती ने जिसके कंधे पर रखा हाथ
BSP Mayawati Nephew Akash Anand: बसपा सुप्रीमो ने 2023 से लेकर 2024 तक के तमाम चुनाव को लेकर पहली बैठक में ही खास इशारा दे दिया है. 2024 की चुनावी रणनीति वाली अहम मीटिंग में मायावती ने बता दिया कि बसपा की सियासी जमीन का नया ‘आकाश’ कौन होगा.
BSP Mayawati: बसपा प्रमुख मायावती ने बुधवार को हुई बैठक में यह साफ कर दिया कि पार्टी में आने वाला समय उनके भतीजे आकाश आनंद का है. जिस तरह से उन्होंने चुनाव में जुटे आकाश को लखनऊ की बैठक में बुलाया, उनके कंधे पर हाथ रखा उससे साफ है कि वह बसपा के लिए खास हैं. लोकसभा चुनाव में उनकी अहम भूमिका रहने वाली है. पार्टी की विरासत संभालने के लिए उनसे आगे कोई नहीं है.
लखनऊ में हुई 23 अगस्त 2023 को बसपा की मीटिंग का 33 सेकंड का एक वीडियो वायरल हो रहा है. इसमें वो अपने कथित चाणक्य सतीश चंद्र मिश्रा के साथ आती हुई दिख रही हैं. वो मायावती के बाएं हाथ की ओर चल रहे थे, लेकिन सबकी नजरें उस शख़्स की ओर थी, जो बसपा अध्यक्ष के दाहिनी ओर था. मायावती, उनके भाई आनंद, उनके बेटे आकाश आनंद और सतीश चंद्र मिश्रा मीटिंग हॉल में दाखिल हुए. मायावती हॉल में कुछ कदम चलकर सीट की ओर बढ़ रही थीं. उनके कदम कुछ धीमे हुए, तो सतीश चंद्र मिश्रा आगे निकल गए.
अब मायावती के दाहिनी ओर भाई आनंद और भतीजे आकाश आनंद चलते-चलते थोड़ा रुके. छोटे से मंच पर लगी अपनी कुर्सी की ओर मायावती बढ़ीं. टेबल पर डायरी रखी और फिर भतीजे की ओर देखा. आकाश उनके पास आए. बुआ ने भतीजे के कंधे पर हाथ रखा और सामने बैठे पार्टी नेताओं की ओर देखकर मुस्कुराईं. इस दौरान भाई आनंद बहन के पीछे खड़े रहे. मायावती ने दोनों को अपने दाहिनी ओर बैठने का इशारा किया. आकाश ने बुआ को प्रणाम किया और उनकी कुर्सी के पीछे से होते हुए दाहिनी ओर जाकर बैठ गए. 33 सेकंड में तय हो गया कि बसपा में मायावती के बाद किसका सिक्का चलेगा.
बसपा को मिला युवा नेता
मायावती सार्वजनिक मंचों पर कम ही मुस्कुराती हैं. 2012 के बाद से तो उनके चेहरे पर चुनावी वजहों से आने वाली मुस्कान गायब थी, लेकिन 23 अगस्त 2023 की सुबह उन्होंने अपनी मुस्कुराहट से नया और बड़ा संदेश दे दिया है. पूरी बसपा मायावती के कंधों पर है और उन्होंने भतीजे आकाश आनंद के कंधे पर हाथ रखकर मुस्कुरा दिया. दरअसल, पिछले करीब 5-6 साल से मायावती ने जमीनी सियासत से अघोषित दूरी बना रखी है. बसपा को कोई ऐसा चेहरा चाहिए था, जो मायावती का विकल्प भले ही ना हो लेकिन उनका सरपरस्त होकर पार्टी और वोटर्स के बीच की खाई को कम कर सके. आकाश आनंद के कंधे पर हाथ रखकर मायावती ने ये संदेश दिया है कि उन्हें अपना नया विश्वासपात्र और BSP को युवा नेता मिल गया है.
हालांकि, चुनावी जमीन पर लगभग बिखरे हुए दलित वोटबैंक को बसपा के पास लाने के लिए आकाश आनंद को अब से 2024 तक बड़ा इम्तिहान देना है. आकाश आनंद और मायावती के लिए 2024 का लोकसभा चुनाव सबसे बड़ी कसौटी होंगे. ये चुनाव राष्ट्रीय फलक पर आकाश आनंद को विस्तार का मौका देंगे. मायावती ने उन्हें चुनावी राज्य राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिज़रोम का प्रभारी बनाया है.
अपने परंपरागत वोटबैंक के दम पर बसपा लड़ेगी चुनाव
मायावती सियासत में अपने तेवर के लिए जानी जाती हैं. कहते हैं कि वो समझौतों पर नहीं बल्कि अपनी शर्तों पर राजनीति करती हैं. हालांकि, ये बहस का मुद्दा हो सकता है कि वो वक्त की नजाकत और अपनी सुविधा के हिसाब से सियासी फैसलों को मनचाहा मोड़ देती रहती हैं. फिर भी सार्वजनिक मंच पर इस बार मायावती ने ना केवल बड़ा इशारा दिया है, बल्कि एक तस्वीर के जरिये बहुत कुछ कह दिया है. उन्होंने साफ कर दिया है कि 2024 का चुनाव गठबंधन के साथ नहीं बल्कि अपनों और अपने परंपरागत दलित वोटबैंक के दम पर ही लड़ेंगे.
मायावती तय करेंगी आकाश भूमिका
बता दें कि बसपा अध्यक्ष मायावती ने अपना पहला लोकसभा चुनाव 28 साल की उम्र में लड़ा था. उनके भतीजे आकाश आनंद की उम्र भी 28 साल है और उनके सामने भी 2024 का लोकसभा चुनाव है. मायावती ने 1984, 1985 और 1987 यानी लगातार तीन लोकसभा चुनाव हारकर भी खुद को ‘दलितों के मसीहा’ वाले मुकाम तक पहुंचाया. अब जब उन्होंने 2024 लोकसभा चुनाव से पहले भतीजे आकाश आनंद को पार्टी नेताओं से रू-ब-रू करवाया, तो इसके मायने बहुत गहरे हैं. आकाश आनंद को राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम का प्रभारी बनाया गया है, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी क्या भूमिका होगी, ये मायावती ही तय करेंगी.
राजस्थान में रैलियां कर रहे हैं आकाश
फिलहाल आकाश राजस्थान में रैलियां कर रहे हैं. राजस्थान में आकाश आनंद का पहला बड़ा सियासी इम्तिहान होगा. 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राजस्थान में विधानसभा चुनाव होंगे. इसके लिए आकाश ने सड़कों पर उतरकर कार्यकर्ताओं और पार्टी वर्कर्स को जोड़ने का संकल्प लिया है. धौलपुर से उन्होंने ‘संकल्प’ यात्रा शुरू की. इस दौरान वो कार्यकर्ताओं और वोटर्स से ये कहते हुए दिखे कि बसपा समाज के हर वर्ग की लड़ाई लड़ती है.
राजस्थान में बसपा विधायकों की बगावत को लेकर आकाश आनंद ने पार्टी कार्यकर्ताओं को कड़ा संदेश दिया है. उन्होंने कहा कि जीतने के बाद पार्टी छोड़ने वालों की बसपा में वापसी नहीं होगी. यानी मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को संगठन का नया चेहरा बनाकर चुनावी राजनीति की रणनीति साफ कर दी है. अब मायावती की छत्रछाया में आकाश आनंद अपना और पार्टी का विस्तार करेंगे.
2019 से राजनीति में सक्रिय हुए आकाश
गौरतलब है कि 1989 में मायावती ने अपना पहला लोकसभा चुनाव बिजनौर से जीता था. तब उनकी उम्र 33 साल थी. 2014, 2019 और 2022 में बसपा अपने सबसे बुरे राजनीतिक दौर से गुजरती रही है. ऐसे में पार्टी को ऐसे नेता की ज़रूरत महसूस होने लगी, जो कार्यकर्ताओं के बीच जा सके. अपने परंपरागत वोटबैंक से जुड़ सके और युवा वोटबैंक को जोड़ सके. इसके लिए मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को 2019 से सक्रिय किया. राजनीतिक दमखम वाले इस मौके को आकाश कितना भुना पाते हैं, ये तो नतीजे ही बताएंगे.
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