Yogi and Balaknath: पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के रिजल्ट आ चुके हैं और इस बीच एक बाबा की खूब चर्चा हो रही है.  बीजेपी ने इन्हें राजस्थान विधानसभा चुनाव में तिजारा सीट से उतारा और उन्हें जीत भी मिली. बाबा वहां से जीते तो चर्चाओं में रहना ही है. इस जीत के बाद से उनका नाम राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदार के रूप में लिया जा रहा है. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की तरह बाबा बालकनाथ भी नाथ संप्रदाय से आते हैं. राजस्थान की जनता को नए सीएम का इंतजार है. सूत्रों के अनुसार, बीजेपी आलाकमान ने मुख्यमंत्री का नाम तय भी कर लिया है. हालांकि अभी इसका ऐलान नहीं किया गया है. योगी और बालकनाथ में कुछ समानताएं भी और कुछ अंतर भी. आइए इस लेख में जानते हैं.


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चर्चाएं हैं कि बीजेपी उत्तर प्रदेश वाला दांव राजस्थान में भी खेल सकती है. ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी राजस्थान के सीएम के लिए महंत बालकनाथ के नाम का ऐलान कर सकती है. अगर ऐसा होता है तो महंत बालकनाथ प्रदेश के 26वें सीएम बन जाएंगे.


 योगी और बालकनाथ में  समानताएं


दोनों नेता रह चुके हैं लोकसभा सांसद 
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से सांसद रह चुके हैं. वहीं महंत बालकनाथ अभी अलवर लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी के सांसद भी हैं.  आपको बता दें कि योगी  साल 1998 से 2017 तक लोकसभा सांसद रहे. वहीं महंत बालकनाथ साल 2019 से अलवर लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं. मुख्यमंत्री बनने के पहले योगी पांच बार सांसद रहे. वहीं बालकनाथ एक बार सांसद रहे. योगी 26 या 27 साल में पहली बार सांसद बने, हिन्दू युवा वाहिनी बनाई, राम जन्मभूमि आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की.


दोनों संतों के गुरु भी रह चुके हैं लोकसभा सांसद 
 इसके अलावा और समानता ये है कि दोनों संतों के गुरु भी लोकसभा सांसद रह चुके हैं. सीएम योगी के गुरु महंत अवैधनाथ साल 1970 में और इसके बाद 1989 से 1996 तक गोरखपुर से सांसद रहे थे. इसके साथ ही बालकनाथ के गुरु महंत चांदनाथ भी 2014 में चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे.


दोनों ही नाथ पंथ से जुड़े
दोनों ही नेता नाथ संप्रदाय से आते हैं. इसके अलावा दोनों संत अपने-अपने मठों के प्रमुख भी हैं.  योगी आदित्यनाथ को  12 सितंबर 2014 को गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महन्त अवैद्यनाथ के निधन के बाद इन्हें महंत बनाया गया.  2 दिन बाद इन्हें नाथ पंथ के पारंपरिक अनुष्ठान के अनुसार मंदिर का पीठाधीश्वर बनाया गया. वहीं महंत चांदनाथ ने 29 जुलाई, 2016, को बालकनाथ को उनके उत्तराधिकारी के रूप में घोषित किया. महंत चांदनाथ के  निधन के बाद से ही बालकनाथ  बाबा मस्तनाथ मठ के पीठाधीश्वर की जिम्मेदारी निभा रहे हैं.


राजनीति में दोनों नेता
सीएम योगी आदित्यनाथ भी गोरखनाथ मंदिर से राजनीति में आने वाले तीसरे पीठाधीश्वर हैं.  सीएम योगी से पहले महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवैधनाथ गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहे चुके थे. वहीं अलवर की तिजारा सीट से विधायक चुने गए महंत बालकनाथ बाबा मस्तनाथ मठ से जनप्रतिनिधि बनने वाले तीसरे महंत हैं.  बालकनाथ से पहले बाबा मस्तनाथ मठ के महंत श्रयोनाथ विधायक रहे चुके हैं.


महंत बालकनाथ के पिता किसान हैं और वे दो भाई हैं. महंत बालकनाथ बड़े हैं.  बचपन से ही उनको मंदिर और गुरुओं के पास जाने का शौक रहा है. 6 साल की उम्र में महंत बालकनाथ अपने गुरु महंत चांदनाथ के पास आ गए थे. 


दोनों ने नहीं की शादी
जो सन्यास की दीक्षा लेते हैं वो शादी नहीं करते हैं.


नहीं होता दाह संस्कार
इस संप्रदाय के योगियों का जीवन आम लोगों से काफी अलग होता है. इस पंथ के योगी या तो जीवित समाधि लेते हैं या शरीर त्यागने पर उन्हें समाधि दी जाती है. जैसे हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद शव को जलाया जाता है वैसे वे जलाये नहीं जाते.


कठोर नियमों का पालन
इस संप्रदाय को मानने वाले किसी भी प्रकार के भेद-भाव में आदि काल से ही विश्वास नहीं करते. इस पंथ को किसी भी जाति, वर्ण व किसी भी उम्र में अपनाया जा सकता है. 12 साल की कठोर साधना और तपस्या के बाद ही इसमें संन्यासी को दीक्षा दी जाती थी. उम्र भर इन्हें कठोर नियमों का पालन करना होता है.


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