Mayawati BSP Political Graph in UP: यूपी की 9 सीटों पर नतीजे आज घोषित हो जाएंगे. एक बार फ‍िर बहुजन समाज पार्टी कुछ खास प्रदर्शन करती नहीं दिख पा रही है. दलित वोटरों में एकछत्र राज करने वाली मायावती की बसपा का सियासी अस्तिस्‍व खतरे में दिखाई दे रहा है. 2024 के लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद पार्टी यूपी उपचुनाव में भी खाता नहीं खोल पाई. मायावती के सामने न सिर्फ खाता खोलने की बल्कि दलित वोटरों की वापसी भी चुनौती है. 


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यूपी में जनाधार खो रही बसपा? 
लोकसभा 2024 के चुनाव में बसपा को शून्‍य सीटें मिली थीं. यूपी की सियासत में किसी भी दल का खेल बनाने और बिगाड़ने में दलित वोटर की भूमिका अहम है. यूपी में करीब 22 फीसदी दलित हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा यूपी की 79 सीटों पर चुनाव लड़ी और मात्र 9.39 फीसदी ही वोट पा सकी. इसके बाद मायावती ने जम्‍मू कश्‍मीर और हरियाणा के चुनाव भी किस्‍मत आजमाया. हरियाणा और जम्‍मू कश्‍मीर के विधानसभा चुनाव के नतीजों ने दिखा दिया कि मायावती की दलित वोटरों से पकड़ ढीली होती जा रही है.


आखिरी बार 2010 के उपचुनाव में मिली थी जीत 
इन दोनों राज्‍यों में हार के बाद पहली बार यूपी में उपचुनाव लड़ने का फैसला किया. आखिरी बार बसपा यूपी उपचुनाव में 2010 में जीत दर्ज की थी, तब मायावती प्रदेश की मुख्‍यमंत्री थीं. सिद्धार्थनगर की डुमरियागंज विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बसपा को जीत मिली थी. इसके बाद से बसपा कोई भी उपचुनाव नहीं जीत पाई. सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने उपचुनाव की खुद कमान संभाली. सपा से अखिलेश यादव ने हर सीट पर चुनावी रैली की, हालांकि बसपा सुप्रीमो मायावती और उनके भतीजे आकाश आनंद यूपी की किसी भी सीट पर प्रचार करते नहीं दिखे. 


बसपा की करो या मरो की स्थिति
यूपी की जिन 9 सीटों पर उपचुनाव हुए हैं. इनमें कई सीटें बसपा का गढ़ मानी जाती थी. मझवां, कटेहरी, मीरापुर जैसी सीटों पर बसपा का अपना सियासी दबदबा रहा है. मझवां सीट पर बसपा 5 बार चुनाव जीत चुकी है. सपा का खाता नहीं खुला है. इसके बावजूद सपा ने इन सीटों पर जमकर मशक्कत की है, लेकिन मायावती ने इन सीटों से किनारा काट लिया. झारखंड में मायावती ने एक रैली की तो महाराष्ट्र में भी एक ही जनसभा को संबोधित किया. मायावती के साथ आकाश आनंद भी दोनों ही जगह गए, लेकिन यूपी उपचुनाव से दूरी बनाए रखी.


चंद्रशेखर आजाद बने चुनौती? 
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, पिछले कुछ चुनाव में दलित वोट बैंक में बीजेपी और सपा ने सेंध लगाई. अब बसपा की सबसे बड़ी चुनौती आजाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर आजाद हैं. लोकसभा चुनाव में नगीना से जीतने के बाद चंद्रशेखर दलित वर्ग में काफी लोकप्रिय हो रहे हैं और अपनी पार्टी का विस्तार कर रहे हैं. चंद्रशेखर आजाद ने यूपी उपचुनाव में भी पार्टी के समर्थन में उतरकर वोट मांगते दिखे. यूपी में बसपा और आजाद समाज पार्टी के लिए दलित वोटरों पर पकड़ बनाने की होड़ है.