सच कहना अगर बगावत, समझो हम भी बागी हैं...जयप्रकाश नारायण के क्रांतिकारी विचार जिन्होंने भारतीय राजनीति बदल दी

भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और राजनेता जयप्रकाश नारायण की एक आवाज पर नौजवानों का हुजूम सड़कों को जाम कर देता था.`लोकनायक` के नाम से मशहूर हुए जेपी की आज 122वीं जयंती है. बलिया के एक छोटे से गांव से निकला लड़का देश में क्रांति की आवाज बन गया.

शैलजाकांत मिश्रा Fri, 11 Oct 2024-10:12 am,
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संपूर्ण क्रांति

सम्पूर्ण क्रांति में सात क्रांतियाँ शामिल हैं, राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक व आध्यात्मिक क्रांति. इन सातों क्रांतियों को मिलाकर सम्पूर्ण क्रान्ति होती है.

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जनता पर भरोसा

केवल वे लोग जिन्हें लोगों पर भरोसा और आत्मविश्वास नहीं है या जो जनता का भरोसा जीतने में असमर्थ हैं, वही हिंसक रास्ते अपनाते हैं.

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मेरी रुचि सत्ता में नहीं

मेरी रुचि सत्ता के कब्जे में नहीं, बल्कि लोगों द्वारा सत्ता के नियंत्रण में है.

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शांति-लोकतंत्र सिक्के के दो पहलू

लोकतंत्र को शांति के बिना सुरक्षित और मजबूत नहीं बनाया जा सकता. शांति और लोकतंत्र एक सिक्के के दो पहलू हैं. एक के बिना दूसरा बचा नहीं रह सकता. 

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बंदूक से निकली सत्ता

जब सत्ता बंदूक की नली से बाहर आती है और बंदूक आम लोगों के हाथों में नहीं रहती है, तब सत्ता हमेशा सबसे आगे की पंक्ति वाले क्रांतिकारियों के बीच सबसे क्रूर मुट्ठीभर लोगों द्वारा हड़प ली जाती है

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राजनीतिक एकता का अभाव

जब तक हर व्यक्ति के दिल में राष्ट्रवाद की भावना का विकास नहीं होगा तब तक देश का सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता है. भारत में सांस्कृतिक एकता होते हुए भी राजनीतिक एकता का अभाव है.

 

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जनता की स्थिति भेड़ों जैसी

राजनीतिक दलीय प्रणाली में जनता की स्थिति उन भेड़ों की तरह होती है जो निश्चित अवधि के बाद अपने लिए ग्वाला चुन लेती है. ऐसी लोकतंत्रीय शासन प्रणाली में मैं उस स्वतन्त्रता के दर्शन कर नहीं पाता जिसके लिए मैंने तथा जनता ने संघर्ष किया था. 

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वैज्ञानिक दृष्टिकोण जरूरी

राष्ट्रीय एकता के लिए यह जरूरी है कि व्यक्ति धार्मिक अन्धविश्वासों से बाहर निकलकर अपने अन्दर एक बौद्धिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करे.

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सम्पूर्ण क्रान्ति जरूरी

भ्रष्टाचार मिटाना, बेरोजगारी दूर करना, शिक्षा में क्रान्ति लाना आदि ऐसी चीजें हैं जो आज की व्यवस्था से पूरी नहीं हो सकतीं क्योंकि वे इस व्यवस्था की ही उपज हैं. वे तभी पूरी हो सकती हैं जब पूरी व्यवस्था बदल दी जाए. सम्पूर्ण व्यवस्था के परिवर्तन के लिए क्रान्ति सम्पूर्ण क्रान्ति जरूरी है.

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