मयूर शुक्ला/लखनऊ: लोकसभा चुनाव के बाद यूपी में होने वाले उपचुनाव में सपा-कांग्रेस के गठबधन की परीक्षा होगी. यूपी विधानसभा उपचुनाव में भी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठजोड़ बना रहेगा. इस चुनाव में भी कांग्रेस कम से कम तीन सीट की मांग  सकती है. प्रदेश कांग्रेस की मांग पर ये प्रस्ताव हाई कमान के स्तर से रखा जाएगा. दोनों दलों के बीच सीटों के बंटवारे पर जल्दी बातचीत हो सकती है. यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर 10 जुलाई को उपचुनाव होंगे.


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इन सीटों पर उपचुनाव
फूलपुर,खैर,गाजियाबाद,करहल,कटेहरी,अयोध्या,कुंदरकी ,मझावन,मीरापुर


सपा के कोटे से  विधानसभा की 5 सीटें खाली
सपा के कोटे से विधानसभा की पांच सीटें रिक्त हुई हैं. इनमें 4  सीट सपा विधायकों के लोकसभा सांसद चुने जाने की वजह से खाली घोषित हुई है. इसमें करहल कटेहरी मिल्कीपुर सुरक्षित और  कुंदरकी विधानसभा सीट खाली हुई हैं. सपा विधायक इरफान सोलंकी की सदस्यता रद्द होने की वजह से कानपुर की शीशामऊ विधानसभा सीट रिक्त हो गई है. इसी तरह एनडीए विधायकों के सांसद बनने से मीरापुर, गाजियाबाद, फूलपुर, खैर, मझवा विधानसभा सीट रिक्त हुई है.


यूपी में कांग्रेस के 2 विधायक 6 लोकसभा सदस्य
बात वर्तमान की करें तो यूपी में कांग्रेस के दो विधायक 6 लोकसभा सदस्य हैं. इसलिए कांग्रेस चाहती है कि गठबंधन का संदेश 2027 में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव तक बनाकर रखें. इसके लिए उपचुनाव में भी दोनों दल मिलकर ही लड़ें. लोकसभा चुनाव में गाजियाबाद लोकसभा सीट कांग्रेस के कोटे में थी. गाजियाबाद विधानसभा सीट पर भी कांग्रेस दावा कर सकती है. इसी तरह दो अन्य सीटों की मांग पश्चिमी यूपी में की जा सकती है, जो फिलहाल BJP या RLD के पास थी.


 राष्ट्रीय स्तर पर तीसरे नंबर की पार्टी सपा
लोकसभा चुनाव के बाद अखिलेश की पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर तीसरे नंबर की पार्टी बन गई है. सबसे बड़ी खासियत उनके मतदाताओं ने एक दूसरे के गठबंधन को स्वीकार किया है.  यह भी देखना होगा कि  लोकसभा चुनाव में सपा के साथ कदम मिलाकर चलने वाली कांग्रेस क्या सपा के प्रत्याशियों को जिताने के लिए उसी तरह अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय करेगी ये आने वाला समय बताएगा.


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