UP Byelection 2024: यूपी उपचुनाव की 9 सीटों पर परचम लहराने के लिए पक्ष-विपक्ष सभी ने पूरी ताकत झोंक दी है. सपा के सामने जहां लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती है तो बीजेपी हार का बदला लेने के लिए दमखम से उतरी है. उपचुनाव वाली सीटों को फतह करने के लिए हर सीट पर दो-दो मंत्रियों को उतारकर बीजेपी ने काफी पहले तैयारियां शुरू कर दी थीं. लेकिन सीसामऊ और कुंदरकी दो ऐसी सीटें हैं जहां कमल खिलाना बीजेपी के लिए आसान नहीं रहने वाला है.


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सीसामऊ
सीसामऊ सीट 2002 में सपा के खाते में गई थी. इरफान सोलंकी यहां से विधायक बने. लेकिन एक मामले में सजा के बाद उनकी विधायकी चली गई. जिसके बाद यहां उपचुनाव हो रहा है. सपा ने यहां इरफान की पत्नी नसीम सोलंकी को टिकट दिया है. जबकि बीजेपी से सुरेश अवस्थी चुनावी मैदान में हैं. बीजेपी के ब्राह्मण चेहरे के मुकाबले बसपा ने भी ब्राह्मण उम्मीदवार उतारा है. सियासी जानकारों की मानें तो अगर बसपा के वीरेंद्र शुक्ला अगर ब्राह्मण वोट काटते हैं तो इसका नुकसान बीजेपी को हो सकता है.


सीसामऊ में आखिरी बार 1996 में खिला कमल
सीसामऊ विधानसभा के पिछले आंकड़े भी बीजेपी के पक्ष में नहीं रहे हैं. यहां आखिरी बार बीजेपी को 1996 में जीत मिली थी. 2012 के पूर्व यह सीट आरक्षित थी लेकिन नए परिसीमन के बाद सीसामऊ को सामान्य सीट कर दिया गया. बीते दो विधानसभा चुनाव में यहां सपा के इरफान सोलंकी जीतते रहे हैं. यानी बीजेपी को आखिरी बार इस सीट पर जीत 28 साल पहले मिली थी.


मुस्लिम वोटर निर्णायक
इस सीट पर मुस्लिम वोटर हार-जीत में सबसे अहम माने जाते हैं. सपा के इरफान सोलंकी की पत्नी पर दांव लगाने की इसे बड़ी वजह माना जा रहा है. इस विधानसभा में अनुमानित जातीय वोटरों के आंकड़े देखें तो कुल वोटर 2 लाख 80 हजार हैं. जिसमें सबसे ज्यादा 80 हजार मुस्लिम, 55 हजार ब्राह्मण, 35 हजार दलित, 20 हजार कायस्थ हैं. अन्य का आंकड़ा करीब 35 हजार है.


सीसामऊ विधानसभा सीट 2022 परिणाम (Sisamau Assembly Seat 2022 Result)
इरफान सोलंकी (सपा) - विजेता (79 हजार 163 वोट)
सलिल विश्नोई (बीजेपी) - हार  (66 हजार 897 मत)
हार जीत का अंतर - लगभग 12 हजार


कुंदरकी में 31 साल पहले खिला कमल
कुंदरकी सीट मुस्लिम बाहुल्य है. यहां 60 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं. सपा ने यहां हाजी रिजवान को टिकट दिया है. जबकि बीजेपी से रामवीर सिंह फिर प्रत्याशी हैं. बसपा ने भी यहां मुस्लिम उम्मीदवार पर दांव खेला है और रफतउल्ला को टिकट दिया. बीजेपी के लिए इस सीट पर कमल खिलाना आसान नहीं है. बीजेपी आखिरी बार यहां 1993 में जीती थी. यानी 31 साल से भाजपा का यहां जीत का सूखा बरकरार है. इसे दूर करने के लिए बीजेपी पूरी ताकत झोंक रही है.


सीट के समीकरण
मतदाताओं की बात करें तो इस सीट पर कुल 3,95,375 मतदाता है. जिनमें 1,56,000 हिंदू मतदाता और 2,39,375 मुस्लिम वोटर हैं. यानी विधानसभा क्षेत्र में अनुमानित मुस्लिम वोटर 65 फीसदी हैं. मुस्लिम मतदाता का जिस ओर झुकाव होता है उसकी जीत पक्की मानी जाती है. यही नहीं. मुस्लिम मतदाताओं में 80 हजार के करीब तुर्क बिरादरी के मतदाता हैं. जिनको साधना हर पार्टी की प्राथमिकता रहती है. इस सीट पर कुल 12 प्रत्याशी हैं, जिनमें बीजेपी को छोड़ बाकी सभी पार्टियों के प्रत्याशी मुस्लिम है जबकि चार मुख्य दलों के तुर्क प्रत्याशी हैं.


कुंदरकी में किसके बीच मुकाबला?
कुंदरकी सीट पर बीजेपी ने ठाकुर रामवीर सिंह को टिकट दिया है. उनको पिछले तीन चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है.रामवीर ठाकुर बिरादरी से आते हैं, मुस्लिम वोटरों पर भी उनकी पकड़ अच्छी मानी जाती है. वहीं, सपा से हाजी रिजवान मैदान में हैं. 2002, 2012 और 2017 में वह यहां से जीत चुके हैं. बसपा ने यहां से  हाजी रफतउल्ला उर्फ़ नेता छिद्दा को प्रत्याशी बनाया है.


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