Meerapur by-election 2024: मिथलेश पाल और सुम्बुल राणा दोनों ही खुद को जनता का असली प्रतिनिधि साबित करने के लिए हर कदम पर प्रचार कर रहे हैं. मीरापुर विधानसभा की राजनीति में इस बार कई मोड़ देखने को मिल सकते हैं. यहां इस बार चार मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में हैं.
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Meerapur by-election 2024: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक और रोमांचक पल दस्तक दे चुका है. 20 नवंबर को होने वाले उपचुनावों की घड़ी करीब आ चुकी है, और इनमें सबसे ज्यादा सस्पेंस मीरापुर विधानसभा सीट को लेकर है. हां, वही मीरापुर, जहां अब राजनीति की सियासी सुलगन तेज हो चुकी है. यह सीट अब एक राजनीति का मिक्चर बन चुकी है, जहां हर वोट मायने रखता है, हर समीकरण बदल सकता है, और हर उम्मीदवार की किस्मत दांव पर है! तो इस सीट पर होने वाले इस दिलचस्प चुनावी मुकाबले पर अब हर किसी की नज़रें टिक गई हैं!
मीरापुर विधानसभा सीट
मीरापुर विधानसभा सीट की राजनीति बहुत दिलचस्प है, क्योंकि यह सीट मुस्लिम बहुल मानी जाती है, और अब यहाँ एक नया राजनीतिक समीकरण सामने आया है. यहां इस बार चार मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में हैं, जिसके कारण मुस्लिम वोटरों में बिखराव दिख रहा है. जबकि एनडीए गठबंधन की हिंदू उम्मीदवार मिथलेश पाल, इस बार चुनावी मैदान में हैं.
सपा प्रत्याशी सुम्बुल राणा
वहीं, इंडिया गठबंधन से सपा प्रत्याशी सुम्बुल राणा भी चुनावी मैदान में हैं. सुम्बुल राणा बसपा के वरिष्ठ नेता मुनकाद अली की पुत्री हैं. मिथलेश पाल और संबुल राणा के बीच की यह सीधी टक्कर मीरापुर के इस उपचुनाव को दिलचस्प बना रही है.सपा प्रत्याशी सुम्बुल राणा के ससुर कादिर राणा पुराने राजनेता है जो पूर्व में विधायक और मुजफ्फरनगर से एक बार सांसद रह चुके हैं .
एनडीए गठबंधन से रालोद प्रत्याशी मिथलेश पाल
वहीं, मिथलेश पाल की बात करें तो उन्होंने भी पहले मोरना विधानसभा सीट से रालोद के टिकट पर उपचुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. इस बार उनका पूरा फोकस इस उपचुनाव पर है और वह एक बार फिर उपचुनाव में अपनी जीत की कोशिश कर रही हैं. मिथलेश पाल वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी में थी लेकिन इससे पहले वह राष्ट्रीय लोकदल और समाजवादी पार्टी में भी रह चुकी हैं. वर्ष 1995 में बसपा से जिला पंचायत सदस्य बनकर उन्होंने अपना राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की थी जिसके बाद मिथलेश पाल मोरना विधानसभा ( पहले मीरापुर विधानसभा की जगह मोरना विधान सभा थी) से राष्ट्रीय लोक दल के टिकट पर उपचुनाव जीतकर विधायक रह चुकी हैं.
मीरापुर सीट का प्रोफ़ाइल
उत्तर प्रदेश के जनपद मुज़फ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा सीट पर 20 नवंबर को मतदान होना है जिसके चलते इस सीट से जहां एनडीए गठबंधन ने मिथलेश पाल को अपना प्रत्याशी बनाया है तो वहीं इंडिया गठबंधन से समाजवादी पार्टी ने पूर्व सांसद कादिर राणा की पुत्रवधू सुम्बुल राणा को टिकट दिया है. वही दूसरी तरफ बहुजन समाज पार्टी ने शाहनजर को मैदान में उतारा है वही चन्द्र शेखर की पार्टी आज़ाद समाज पार्टी ने जाहिद को अपना प्रत्याशी बनाया है.
जानकारी के मुताबिक 2012 विधानसभा परिसीमन से पहले मुजफ्फरनगर जनपद में मोरना विधानसभा हुआ करती थी , परिसीमन के बाद मोरना क्षेत्र अब वर्तमान में मीरापुर विधानसभा का हिस्सा है. मिथलेश पाल की अमरनाथ पाल से शादी हुई थी जो सेलटैक्स विभाग में क्लर्क थे जो इस समय रिटायर हो चुके है मिथिलेश पाल ने दो बेटे और दो बेटियों को जन्म दिया था जिन में से एक बेटी की कुछ समय पूर्व हादसे में मृत्यु हो चुकी है.मिथलेश पाल पहले भी विधानसभा, जिला पंचायत, और नगर पालिका अध्यक्ष सहित कई चुनाव लड़ चुकी हैं.
कुल मतदाता
मीरापुर उपचुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 3,23,830 है, जिसमें 1,71,560 पुरुष और 1,52,255 महिला मतदाता हैं। इसके अलावा, 15 अन्य मतदाता भी हैं. यहां पर बड़ी संख्या मुस्लिम मतदाता हैं, जिनमें से सबसे ज्यादा झोझा मुस्लिम वोटर हैं. इसके अलावा, करीब 60,000 दलित वोटर हैं, जबकि अन्य जातियों के वोटर्स में 15,000 गुर्जर, 20,000 जाट, और 10,000 स्वर्ण मतदाता शामिल हैं.
मुस्लिम वोटरों के बीच बिखराव होने की संभावना
इस उपचुनाव में मुस्लिम वोटरों के बीच बिखराव होने की संभावना है, और झोझा बिरादरी के वोट को लेकर भी दो उम्मदवारों में मुकाबला कड़ा है. बसपा के शाह नजर और आजाद समाज पार्टी के जाहिद हुसैन दोनों ही झोझा बिरादरी के वोटरों के लिए दावा कर रहे हैं.
मायावती से छिटके दलित वोटर
दलित वोटरों का भी इस बार मायावती की पार्टी से मोहभंग होता हुआ दिख रहा है. अधिकांश दलित वोटर्स अब आजाद समाज पार्टी के समर्थन में दिखाई दे रहे हैं.
जातीय समीकरण-मीरापुर विधानसभा
कुल मतदाता-3,14,583*
मुस्लिम मतदाता-1,15,000
हिन्दू मतदाता-2,00,000
मुस्लिम जातिगत आंकड़े
झोझा-36,000
कुरैशी-23,000
रांगड़-18,000
अंसारी-16,500
शेख-5,000
अतिरिक्त-15,000 (नाई, मेव,हलवाई,धूने आदि)
हिन्दू जातिगत आंकड़े*
जाट-30,000
गुर्जर-18,000
दलित-58,000(चमार-43,000लगभग)
ब्राह्मण-10,500
पाल-12,000
सैनी-13,000
चौहान-14,000
कश्यप-12,000
प्रजापति -12,000
बनिया-4,000
सिख-2500
अन्य-18,000
पुरुष-1,66,949*
महिला-1,47,617
अन्य(किन्नर)-16
नये मतदाता-20,559
इसलिए हो रहा इस सीट पर उपचुनाव
मीरापुर विधानसभा सीट की अगर बात करें तो 2022 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से राष्ट्रीय लोकदल से चंदन सिंह चौहान ने भाजपा प्रत्याशी प्रशांत चौधरी को 27380 वोटो से हराया था. इसके बाद हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में चंदन सिंह चौहान बिजनौर से चुनाव लड़कर सांसद बन गए थे. जिसके चलते यह सीट रिक्त हो गई थी इसी के चलते अब इस सीट पर उपचुनाव होने जा रहा है.
मीरापुर विधानसभा सीट इतिहास
मीरापुर सीट पहले मोरना विधानसभा का हिस्सा हुआ करती थी, लेकिन 2008 के परिसीमन के बाद यह मीरापुर विधानसभा के नाम से जानी जाने लगी. पहले यह सीट सपा, कांग्रेस और रालोद के गठबंधन में रही थी, लेकिन इस बार स्थिति कुछ अलग दिख रही है.सुम्बुल राणा के ससुर कादिर राणा, जिन्होंने मोरना विधानसभा से रालोद के टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी, उनका राजनीतिक प्रभाव इस क्षेत्र में काफी मजबूत रहा है. लेकिन अब उनकी बहू संबुल राणा सपा के सिंबल से मीरापुर विधानसभा उपचुनाव में मैदान में हैं.
मीरापुर विधानसभा में मुख्य रूप से मीरापुर, जानसठ, मोरना, भोपा, भोकरहेड़ी और शुकतीर्थ जैसे कस्बे शामिल है. परिसीमन से पहले यह सीट मोरना विधानसभा हुआ करती थी. जहां पर RLD से एक बार कादिर राणा भी विधायक रह चुके हैं. इसके बाद कादिर राणा RLD छोड़कर बसपा से मुजफ्फरनगर लोकसभा का चुनाव जीत गए थे कादिर राणा के सांसद बनने के बाद मोरना विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ था जिसमें RLD से मिथलेश पाल उपचुनाव जीतकर विधायक बनी थी. 2012 में परिसीमन चेंज होने के बाद मोरना विधानसभा मीरापुर विधानसभा बन गई जिसमें 2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा के मौलाना जमील विधायक बने इसके बाद 2017 में भाजपा से अवतार सिंह भड़ाना विधायक बने और 2022 में आरएलडी से चंदन चौहान विधायक बने अब 2024 के लोकसभा चुनाव में चंदन चौहान बिजनौर लोकसभा से सांसद बनने के बाद मीरापुर विधानसभा पर उपचुनाव हो रहा है.
अब 20 नवंबर को इस सीट पर होने वाले उपचुनाव में यह तय होगा कि कौन होगा मीरापुर का अगला विधायक…। क्या एडीए गठबंधन की मिथलेश पाल मुस्लिम वोटों के बिखराव का फायदा उठा पाएंगी या फिर मुस्लिम उम्मीदवारों के बीच बंटते वोट किसी और के पक्ष में जाएंगे?
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