GHOSI BY ELECTION 2023: घोसी के घमासान में सपा के सुधाकर सिंह बीजेपी के दारा सिंह चौहान पर बाजी मारते दिख रहे हैं. 13वें राउंड तक उनकी बढ़त 20 हजार के पार कर गई है. 


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12 दिन के चुनावी घमासान के बाद अब चुनाव संपन्न हो चुका है. मतदाता और नेता अब परिणाम के इंतजार में हैं. यह चुनाव कई मायने में इंडिया और एनडीए गठबंधन दोनो के लिए खास है. एक साल का योगी 2.0 का प्रोग्रेस रिपोर्ट भी है और अखिलेश के लिए तो यह साख की बात हो गई है. सपा इससे पहले भी कई उपचुनाव प्रदेश में लड़ चुकी है, लेकिन जिस मजबूती और सक्रियता के साथ मऊ के घोसी का चुनाव लड़ा ऐसा पहली बार लगा की अब उपचुनाव में भी सपा मजबूती से लड़ना चाहती है. सपा अपने प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय कैडर को जमीन पर उतार दी थी. एक एक कार्यकर्ता और नेता चुनाव लड़ रहा था.


 


इंडिया गठबंधन के लिए यह चुनाव इस लिए भी खास है, क्योंकि कांग्रेस और बसपा ने अपने उपचुनाव मे प्रत्याशी उतारना मुनासिब नहीं समझा अब बसपा का कोर वोट किधर जायेगा, वैसे सपा के सुधाकर की दलित वोट बैंक पर अच्छा पकड़ माना जाता है. और उसके बाद अगर सपा का पीडीए भी इस चुनाव में कारगर साबित हो गया तो भाजपा के लिए मुश्किल हो जाएगा. लेकिन अगर भाजपा के गठबंधन के साथी सुभासपा और निषाद पार्टी का कोर वोट भाजपा के पाले मे आ जाता है. तो जातीय समीकरण मे दोनों पार्टीयां फिट बैठती यहा राजभर और निषाद समाज का संख्या भी ठिक है. 


 

निर्णायक की भूमिका में कौन 


2022 के चुनाव के मुकाबले इस बार 8% कम मतदान हुआ है. 2022 में 58.53% रहा जबकि इस बार 50.30 हुआ. चिंता की लकीर दोनो पक्ष के नेताओ के माथे पर साफ नजर आ रही है. इस बार बसपा और कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार नही उतारा, कांग्रेस ने सपा को इंडिया एलियंस में होने के वजह से अपना समर्थन दिया, तो वही बसपा न्यूट्रल रही. अब बसपा का अपना जो कोर वोट बैंक है वह तय करेगी की कौन होगा घोसी का अगला विधायक वैसे सपा के सुधाकर की दलितों में अच्छी पकड़ मानी जाती है. और अगर सपा का पीडीए कामयाब हो गया तो फिर दारा सिंह के राह आसान नहीं होंगे. 


 


ओमप्रकाश के लिए अग्निपरीक्षा


घोसी चुनाव के कुछ दिन पहले ही एनडीए गठबंधन का हिस्सा बने ओमप्रकाश राजभर के लिए यह चुनाव बहुत कुछ डिसाइड करेगा. सपा से गठबंधन टूटने के बाद उसपर हमलावर सुभासपा अध्यक्ष हर मंच पर अखिलेश को ललकारते हुए पूर्वांचल में देख लेंगे आए तो जमानत जब्त करा देंगे जैसे बयान देने वाले राजभर के लिए भी साख की बात है इस उपचुनाव में राजभर स्वयं और अपने दोनो बेटे के साथ घोसी में लगाते सक्रिय रहे है और लगातार जनसंपर्क किया है अब यह जनसंपर्क कितना कारगर हुआ है इसका परिणाम तो गिनती वाले दिन ही 8 सितंबर को पता चल जायेगा.

 

चुनाव में क्या रहा मुद्दा


सपा नए समीकरण के साथ मैदान में थी. सपा पीडीए के सहारे चुनाव को साधना चाहती थी तो वही भाजपा मुफ्त राशन, कानून व्यवस्था और योगी के नाम पर चुनाव लड़ रही थी. इस बार चुनावी मैदान में कुल 8 उम्मीदवार थे. लेकिन मुख्य लड़ाई सपा और भाजपा के प्रत्याशी के बीच नजर आ रही है. सपा छोड़ भाजपा में दारा सिंह चौहान को भाजपा ने मैदान पर उतारा तो वही 2022 जिसका टिकट काटकर दारा सिंह को टिकट दिया गया था सुधाकर 


सिंह को सपा ने अपना प्रत्याशी बनाया था. 

 

जातीय समीकरण क्या कहते हैं


घोसी में सर्वाधिक आबादी मुसलमानों की है 90 हजार, अनुसूचित वर्ग 70 हजार जबकि यादव 60 हजार है, 55 हजार राजभर 50 हजार नोनिया चौहान है, 20 हजार निषाद और 35 हजार वैश्य विरादरी का वोट है 20 हजार भूमिहार, 15 हजार राजपूत, और 11 हजार ब्राह्मण है और 12 हजार के करीब अन्य जातियां है. अनुमानित अकड़ा है.

 

अब अगर जातीय समीकरण के हिसाब से देखे तो दारा सिंह चौहान भारी पड़ रहे है लगभग 50 हजार के करीब इनकी जाति के लोग इस विधान सभा में है. लेकिन सुधाकर की छवि दलित वर्ग में काफी अच्छी है जिसका फायदा उन्हे चुनाव में भी मिला है ऊपर से यादव मुस्लिम समीकरण सपा के पक्ष में तो पलड़ा सुधाकर का भी भारी नजर आता है. 

अब सारे प्रत्याशी का किस्मत मतपेटी में कैद हो गई है किसका भाग्य उदय होगा इसका पता तो अब 8 सितंबर को ही चलेगा