लखनऊ: एक बार फिर देश में समान नागरिक संहिता पर बहस छिड़ने वाली है. लेकिन, इस बार सरकार की तरफ से नहीं और न ही बीजेपी की ओर से इस मुद्दे को उठाया गया है. इस बार यूपी शिया केंद्रीय वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने यह मांग उठाई है. इस पर एकबार फिर विवाद होने की संभावना बढ़ गई है. यूपी शिया केंद्रीय वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने देश में समान नागरिक संहिता लागू करने का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि विवाह, तलाक, उत्तराधिकारी और अधिग्रहण के संबंध में सभी समुदायों के लिए एक कानून के तहत समान नागरिक संहिता लागू होनी चाहिए.


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अगर गोवा में यूनिफॉर्म सिविल कोड तो हर राज्य में क्यों नहीं?
वसीम रिजवी ने राष्ट्रीय विधि आयोग के अध्यक्ष, सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति बीएस चौहान को बुधवार को इस संदर्भ में प्रस्ताव दिया है. उन्होंने अपने प्रस्ताव में गोवा का भी उदाहरण दिया है. गोवा में साल 1965 से ही समान नागरिक संहिता लागू है. अपने प्रस्ताव में उन्होंने पूछा कि अगर गोवा में समान नागरिक संहिता लागू हो सकती है तो फिर अन्य राज्यों में क्यों नहीं ? साथ में उन्होंने यह भी जोड़ा है की अगर हमारे संविधान में राज्य के नीति निर्देशक तत्व के तहत समाहित है, तो फिर इसे लागू क्यों नहीं किया जा सकता ?