Pradhanmantri Ayushman Bharat Yojana: मोदी सरकार की आयुष्मान भारत योजना का लाभ गरीब और जरूरतमंदों को देने में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का कोई सानी नहीं है. पूरे देश में उत्तर प्रदेश ही ऐसा राज्य है, जहां सबसे ज्यादा आयुष्मान कार्ड धारक हैं. प्रदेश की गरीब जनता और जरूरतमंद को योजना का लाभ देने के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार 5 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड बनाकर पूरे देश में नंबर वन है. इतना ही नहीं प्रदेश में आयुष्मान कार्ड से अब  बड़े कॉर्पोरेट और वीआईपी अस्पतालों में भी इलाज मिल रहा है. अब तक 25 सौ करोड़ से अधिक की धनराशि गंभीर बीमारी वाले 6 लाख से अधिक मरीजों के इलाज में खर्च की जा चुकी है.


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VIP अस्पतालों में भी आयुष्मान कार्ड से इलाज
प्रमुख सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि गरीब जनता को आयुष्मान भारत का लाभ देने के लिए युद्धस्तर पर आयुष्मान कार्ड बनाए जा रहे हैं. इसी का नतीजा है कि प्रदेश में 5 करोड़ 11 लाख 72 हजार 647 आयुष्मान कार्ड धारक हैं. जिन्हे प्रदेश के 5,669 अस्पतालों द्वारा इलाज मुहैया कराया जा रहा है. इनमें 2948 सरकारी और 2721 प्राइवेट अस्पताल शामिल हैं. इतना ही नहीं प्रदेश के कारॅपोरेट अस्पतालों में भी कार्ड धारकों को इलाज मिल रहा है. इसमें अपोलो, मेदांता, यशोदा, रिजेंसी, टेंडर पॉम जैस बड़े कॉर्पोरेट अस्पताल शामिल हैं. 


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आयुष्मान कार्ड योजना में यूपी नंबर वन
आयुष्मान कार्ड योजना के तहत अब तक 45,19,375 मरीजों के इलाज में 7040 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं. प्रमुख सचिव ने बताया कि उत्तर प्रदेश कार्ड बनाने के मामले में बीते कई वर्षों से पूरे देश में नंबर वन राज्य बना हुआ है, जबकि दूसरे स्थान पर मध्य प्रदेश है, जहां 4 करोड़ 3 लाख कार्ड बनाए गए हैं. वहीं तीसरे स्थान पर बिहार है, जहां 3 करोड़ 26 लाख कार्ड बनाए गए हैं. 


दूसरे राज्यों के कार्ड धारक में यूपी में कराते इलाज
साचीज की सीईओ संगीता सिंह ने बताया कि अब तक 2,557 करोड़ से टर्शियरी केयर के तहत 6,98,831 मरीजों को इलाज उपलब्ध कराया गया है. इसमें 66,513 हृदय रोगियों का इलाज किया गया. वहीं दूसरे राज्य के 1,79,141 मरीजों ने प्रदेश की बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ लिया. इनके इलाज में 491 करोड़ रुपये खर्च किये गये जबकि प्रदेश के बाहर रहने वाले 3,05,264 प्रदेशवासी मरीजों ने दूसरे प्रदेश में इलाज कराया, जिनपर 821 करोड़ रुपये खर्च किये गये.


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