लखनऊ: कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा के निजी सचिव संदीप सिंह को बस सूची फर्जीवाड़ा मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राहत देते हुए उनकी अग्रिम जमानत मंजूर कर ली है. संदीप सिंह और यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू पर प्रवासी मजदूरों के लिए एक हजार बसों की सूची में फर्जीवाड़ा करने के आरोप में लखनऊ के हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज किया गया था.


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संदीप सिंह की अग्रिम जमानत मंजूर
लल्लू को लखनऊ पुलिस ने 20 मई को गिरफ्तार कर लिया था. वह 29 दिन जेल में रहने के बाद जमानत पर बाहर आए थे. वहीं, संदीप सिंह ने गिरफ्तारी से बचने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट की शरण ली थी. सं​दीप की याचिका पर हाई कोर्ट ने 5 अगस्त को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. शुक्रवार को न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान ने संदीप की अग्रिम जमानत मंजूर कर ली. हाई काेर्ट ने अपनी टिप्पणी में बस सूची विवाद को लेकर कहा कि यह कोई आपराधिक मामला नहीं है. वहीं संदीप सिंह के वकील नदीम मुर्तजा ने कोर्ट से कहा कि राजनीतिक प्रतिशोध के तहत उनके मुवक्किल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है.


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क्या है बस सूची का पूरा मामला?
दरअसल, कोरोना लॉकडाउन के दौरान कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर प्रवासी श्रमिकों के लिए 1000 बसें चलाने की अनुमति मांगी थी. योगी सरकार ने अनुमति देते हुए कांग्रेस से 1000 बसों की सूची मांग ली थी. कांग्रेस की ओर से योगी सरकार को बसों की जो सूची उपलब्ध कराई गई उनमें कार, ऑटो, बाइक के नंबर भी मिले. योगी सरकार ने कांग्रेस को बसें चलाने की दी गई अनुमति वापस ले ली. फर्जी सूची उपलब्ध कराने के आरोप में अजय लल्लू और संदीप सिंह पर लखनऊ के हजरतगंज थाने में धोखाधड़ी के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई थी.


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