बुआई सिर पर, खाद को तरसता किसान, अखिलेश बोले- ये नोटबंदी की नहीं...
Uttar Pradesh News: रबी के सीजन के लिए कुल खाद की जरूरत 68.25 लाख मीट्रिक टन है. अब तक 10.43 लाख मीट्रिक टन खाद बेची गई है. सरकार के पास 24.22 लाख टन खाद है.
Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश इस समय खाद संकट से जूझ रहा है. अलग -अलग जिलों से खाद की उपलब्धता न होने और किसानों की कतारें लगने की खबरें आ रही हैं. आलम ये है कि रात में किसान में लाइन में लग रहा है लेकिन खाद नसीब नहीं हो पा रही है. कई तो मजबूरी में प्राइवेट से महंगी खाद ले रहे हैं. किसानों को चिंता है कि बुआई करनी है तो खाद कहां से आए. मामले पर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने अपनी बात रखी है.
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर एक वीडियो शेयर करते लिखा कि ये 8 साल पहले लगी नोटबंदी की लाइन नहीं है, कल की तस्वीरें हैं. यहां किसान और उनके परिवारवाले खाद पाने की उम्मीद में लाइनें लगाकर बैठे हैं. अखिलेश ने तंज कसते हुए कहा कि बीजेपी पहले तो केवल बोरी में चोरी करती थी, अब तो बोरी ही चोरी हो गयी है. उन्होंने लिखा, बिक रही है ‘खाद’ ऊंचे दाम में, भ्रष्ट भाजपाइयों के गोदाम में!
इस बीच अलीगढ़ जिले से भी खाद न मिलने की शिकायतें आई हैं. खाद के लिए किसानों को लंबी कतार में लगना पड़ रहा है और एक एक बोरी के लिए तरसना पड़ रहा है. इस महीने 600 मीट्रिक टन खाद का आवंटन जिले के लिए हुआ था. खबर ये है कि कई जगह खाद महंगी बिक रही है. डीएपी की बोरी 1355 रुपये और एनपीके की बोरी 1205 रु. में बिक रही है. किसानों का कहना है कि खाद के लिए उन्हें बहुत इंतजार करना पड़ रहा है. काफी घंटे खड़े रहने के बाद भी उन्हें खाद नहीं मिल पा रही है. मजबूरी में कुछ किसान प्राइवेट दुकान से महंगी खाद खरीद रहे हैं. आपको बता दें कि इस समय गेहूं और आलू बोया जा रहा है ऐसे में खाद की किसानों को बहुत जरूरत है.
गाजीपुर के देवकली में शुक्रवार को साधन सहकारी समिति तुरना पर डीएपी खाद किसानों को नहीं मिल सकी. यहां चार सौ किसान पहुंचे थे. खाद न मिलने पर उनको निराश होकर लौटना पड़ा. फिरोजाबाद में स्थिति ये है कि किसान रात से ही खाद के लिए डेरा डाल रहे हैं.इसके बाद भी किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है. बता दें कि लखनऊ के मोहनलालगंज में ग्रामीण सहकारी समिति के सेंटर पर किसान प्रदर्शन भी कर चुके हैं.
किसानों का कहना है हर बार खाद को लेकर बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं लेकिन पूरे नहीं होते. खाद संकट की सबसे बड़ी वजह खाद की उपलब्धता न होना है. खाद को धीरे-धीरे बेचने के लिए निकाला जा रहा है.