UP News : यूपी का एक ऐसा शहर है जहां चैत्र महीने में रावण दहन की परंपरा है. यह परंपरा 50-60 साल नहीं बल्कि 175 साल पुरानी है. इसके पीछे की वजह भी उतनी ही हैरान कर देने वाली है. यहां हर साल चैत्र के नवमी और दसमी के दिन रावण दहन किया जाता है. इस दौरान आसपास ही नहीं दूर-दराज से लोग रावण दहन देखने आते हैं. तो आइये जानते हैं रावण दहन की पूरी कहानी. 


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यह है परंपरा 
दरअसल, यह रावण दहन हाथरस के सहपऊ कस्‍बे में हर साल चैत्र के नवमी और दसमी के दिन होता है. ग्रामीणों का कहना है कि कस्बे में लगभग 175 साल पहले एक बीमारी फैली थी. इसकी चपेट में कस्‍बे के सैकड़ों लोग आ गए थे. उस समय ज्योतिषियों से इसका निराकरण पूछा गया तो उन्होंने चैत्र मास में रामलीला के आयोजन के साथ नवमी एवं दसमी के दिन रावण दहन मेले का आयोजन करने की सलाह दी. तब से रावण दहन मेला का आयोजन होता चला आ रहा है. इस दौरान शांति व्यवस्था को लेकर पुलिस बल भी तैनात किया जाता है. 


इस बार 40 फीट ऊंच रावण का होगा दहन 
इस बार कल यानी 31 मार्च की शाम को यहां रावण दहन मेले का आयोजन किया जाएगा. इसको लेकर दूर-दराज से लोग आने लगे हैं. इस बार 40 फीट ऊंचे रावण का पुतला तैयार किया गया है. रावण का यह पुतला मुरसान के कारोगरों ने तैयार किया है. कारीगरों का कहना है कि पुतला निर्माण करने का काम उनके पुरखों के समय हो रहा है. वह एवं उनके परिवार के अन्य सदस्य रावण, मेघनाथ आदि के पुतले बनाते हैं. कस्बा में चैत्र मास में रामलीला होने के साथ के रावण दहन मेला आयोजित होने के पीछे एक परंपरा है. 


पुलिस बल तैनात 
वहीं, स्‍थानीय पुलिस प्रशासन का कहना है कि रावण मेले को देखते हुए कस्‍बे में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है. किसी तरह की कोई घटना न हो इसके लिए निगरानी की जा रही है. शांति व्‍यवस्‍था कायम रहे, इसलिए मेले में पुलिस गश्‍त भी करती रहती है. 


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