लखनऊ: फर्जी पासपोर्ट मामले में पूर्व अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम को तीन साल जेल की सजा सुनाई गई है. सीबीआई की विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट समृद्धि मिश्रा ने मंगलवार को सजा सुनाई है. फर्जी पासपोर्ट मामले में अबू सलेम के अलावा एक अन्य दोषी परवेज आलम को भी सजा सुनाई गई है. अबू सलेम उर्फ अब्दुल कयूम अंसारी ने अपने सहयोगियों परवेज आलम और समीरा जुमानी के साथ 1993 में लखनऊ पासपोर्ट कार्यालय में अकील अहमद आजमी के नाम से पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था.


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सलेम ने आवेदन के साथ फर्जी नाम और पते के जाली दस्तावेज चिपकाए और पासपोर्ट प्राप्त किया, जिसका उसने बाद में इस्तेमाल किया. मामले की जांच के बाद सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की थी. कोर्ट ने इसका संज्ञान लेते हुए 5 जून 2009 को सलेम के खिलाफ आरोप तय किए थे. सलेम को 1995 में बिल्डर प्रदीप जैन की हत्या में दोषी पाए जाने के बाद 2015 में टाडा अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी. 
वर्चुअल माध्यम से सुनाई गई सजा
कोर्ट द्वारा सजा सुनाए जाने के समय आरोपी अबू सलेम नवी मुंबई की तलोजा जेल से वर्चुअल माध्यम से पेश हुआ. दरअसल इस मामले में अबू सलेम जमानत पर है लेकिन अन्य मामले में जेल में होने के की वजह से उसे वर्चुअल माध्यम से सजा सुनाई गई है. 16 अक्टूबर 1997 को इस मामले में धोखाधड़ी की रिपोर्ट केंद्रीय जांच ब्यूरो ने दर्ज की थी. 


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1993 के मुंबई धमाकों का दोषी है अबू सलेम
अबू सलेम यूपी के आजमगढ़ जनपद के सरायमीर का निवासी है. बचपन में ही उसके वकील पिता की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी. बताया जाता है कि अंडरवर्ल्ड डॉन बनने से पहले वह मेकैनिक का काम किया करता था. अबू सलेम ने मुंबई में अपराध की दुनिया में कदम रखा और 1993 के मुंबई बम ब्लास्ट केस में दोषी था. जुर्म की दुनिया के इस मास्टरमाइंड के ऊपर फिल्में भी बन चुकी हैं.