लखनऊ : केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने दिल्ली वक्फ बोर्ड की 123 संपत्तियों को अपने कब्जे में लेने का फैसला किया है. इसमें मस्जिद, दरगाह और कब्रिस्तान भी शामिल हैं. इस फैसले का विरोध जहां मुस्लिम संगठन कर रहे हैं तो वही संत समाज इस फैसले का स्वागत कर रहा है. संत समाज ने मांग की है कि वक्त बोर्ड को समाप्त कर सनातन बोर्ड की स्थापना की जाए. जरूरत पड़ी तो सरकार इसके लिए संसद में कानून भी बनाए.


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भूमा पीठाधीश्वर अच्युतानंद तीर्थ का कहना है कि देश में वक्फ बोर्ड के पास 32 लाख स्क्वायर हेक्टर जमीन है. वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर कोई भी अपना दावा पेश नहीं कर सकता, सिर्फ सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं. हाईकोर्ट में भी इस मामले में सुनवाई नहीं होती. उनका कहना है कि जब वक्फ बोर्ड भारत में बना है तो सनातन धर्म बोर्ड क्यों नहीं है. हमारे मंदिरों पर सरकार का अधिकार है. इसलिए वक्फ बोर्ड को बंद करना चाहिए और सनातन धर्म बोर्ड बनाकर शंकराचार्य सहित देश के बड़े संतो को शामिल करना चाहिए जो किसी भी राजनीतिक पार्टी से ना हो. हम केंद्र सरकार से मांग करते हैं इसको लेकर कानून बनाया जाए नहीं तो हम सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले को लेकर जाएंगे.


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अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्रपुरी का कहना है कि देश में सनातन परंपरा का भी बोर्ड होना चाहिए. इसको लेकर हमारे द्वारा सरकार के सामने अपनी मांग भी रखी गई है क्योंकि हमारे मठ मंदिरों पर कोई भी आकर हमला कर देता है. मुस्लिम धर्म के लोगों के लिए वक्त बोर्ड बनाया गया. यह कांग्रेस की देन है कांग्रेस ने देश की जमीनों को वक्त बोर्ड के अधीन कर दिया और सनातन परंपरा से जुड़े लोगों की जमीन भी वक्त बोर्ड को दे दी. मोदी सरकार से हमें उम्मीद है कि हमारी जमीन भी सुरक्षित होगी साथ ही सनातन बोर्ड की भी स्थापना की जाएगी. महामण्डलेश्वर राजगुरु स्वामी संतोषानंद सरस्वती महाराज का कहना है कि सनातन बोर्ड का बनना काफी आवश्यक है क्योंकि इस वक्त देश में कई भ्रमित प्रचार किए जा रहे हैं. संविधान का दुरूपयोग हो रहा है. सनातन बोर्ड बनने से सनातन परंपरा से जुड़े लोगों की जमीनों को बचाया जा सकता है. इसलिए सनातन बोर्ड की स्थापना होनी चाहिए. सरकार को अगर इसके लिए कानून बनाने की आवश्यकता है तो संसद में कानून बनाया जाए.


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