लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर सत्ता की जंग लगातार तेज होती जा रही है. बीजेपी, सपा, कांग्रेस और बसपा ने पूर्वांचल में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. सियासी पार्टियां लगातार चुनावी समीकरण फिट करने के लिए जनसमर्थन के लिए कोशिशें कर रही हैं. इस कड़ी में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव 16 नवंबर को गाजीपुर दौरे पर रहेंगे. उसके बाद वह आजमगढ़ जाएंगे. अखिलेश यादव के साथ सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर भी रहेंगे. उसी दिन पीएम मोदी यूपी के सुलतानपुर में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन करेंगे.


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यूपी के मिशन 2022 के लिए सपा पूरी ताकत से लगी है. चौथे चरण की रथयात्रा से सपा की मजबूती का संदेश देंगे तो कार्यकर्ताओं में जोश भरेंगे. अखिलेश यादव विजय रथयात्रा निकालकर जनसमर्थन जुटाएंगे. 



पीएम मोदी करेंगे पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन
16 नवंबर को अखिलेश यादव की यात्रा का दिन उसी दिन प्रस्तावित है जिस दिन पीएम मोदी सुल्तानपुर से पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन करेंगें. बीजेपी सरकार इसको इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की बड़ी उपलब्धि के तौर पर प्रोजेक्ट कर रही है. वहीं सपा सुप्रीमो इसको अपने कार्यकाल की उपलब्धि गिना रहे हैं. पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे 340.8 किलोमीटर लंबा है.ये लखनऊ से शुरू होकर गाजीपुर में खत्म होता है. एक्सप्रेस-वे कुल नौ जिलों से होकर गुजर रहा है.


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अखिलेश को मिला राजभर का साथ
अखिलेश ने पूर्वांचल में बीजेपी की घेराबंदी के लिए सुभासपा के ओमप्रकाश राजभर से हाथ मिलाया है. वह लगातार यूपी के अन्‍य छोटे-छोटे राजनी‍तिक दलों को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने उनके साथ मंच पर एक रैली भी की. इसके बाद अखिलेश यादव ने बसपा के मजबूत किले अम्बेडकर नगर के दो मजबूत नेता लालजी वर्मा और रामअचल राजभर को शामिल कराकर बड़ा संदेश दिया है.


बीजेपी दोहराना चाहती है इतिहास
यूपी की 33 फीसदी सीटें पूर्वांचल से आती हैं. इसके 28 जिलों में 164 विधानसभा सीटें हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को यहां से 115 सीटें मिलीं जबकि सपा को 17, बीएसपी को 14, कांग्रेस को 2 और अन्‍य को 16 सीटें मिलीं. 2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां से सबसे ज्यादा सीटें जीतीं. सीएम योगी का गृह जिला गोरखपुर और पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी भी पूर्वांचल में है.  बीजेपी की कोशिश इस बार 2017 के इतिहास को दोहराने के साथ ही 2024 के लिए माहौल बनाने की भी है. 


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