Allahabad High Court : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने चमरौटिया मोहाल,अर्दली बाजार स्थित याची के घर पर बुलडोजर कार्रवाई और बेदखली पर रोक लगा दी है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि ''राज्य प्राधिकारी नियमानुसार जमीन अधिग्रहण कर सकते हैं अथवा भू-स्वामी से करार की दशा में याची की आपत्ति का निस्तारण कर कार्रवाई कर सकते हैं.''


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यह आदेश न्यायमूर्ति एसडी सिंह तथा न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ल की बेंच ने फखरूद्दीन कुरैशी की याचिका निस्तारित करते हुए दिया है. याची के वकील मनीष सिंह का कहना था कि ''याची के पिता निजामुद्दीन के नाम भवन के एक हिस्से का 13 दिसंबर 1995 का बैनामा है. इसे कोर्ट में चुनौती नहीं दी गई है. वह भवन स्वामी होने के नाते कब्जे में हैं.''


जबरन मकान ध्वस्त करने की कोशिश
वाराणसी विकास प्राधिकरण की ओर से जिला अदालत से संदहा रोड वाया आशापुर का चौड़ीकरण किया जा रहा है. याची की जमीन का न तो अधिग्रहण किया गया है और न ही अधिकारियों के साथ उसका कोई समझौता हुआ है. जबरन उसके मकान को ध्वस्त करने की कोशिश की जा रही है. 


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राज्य सरकार के अधिवक्ता बीरेंद्र प्रसाद शुक्ल का कहना था कि ''राजस्व अभिलेखों में भवन व जमीन महाराजा बनारस के नाम दर्ज है. बैनामा करने वाले का जमीन पर स्वामित्व नहीं था. इसलिए याची को जमीन का स्वामित्व प्राप्त नहीं है. अन्य भवन स्वामियों से सड़क चौड़ीकरण के हक में करार हो चुका है. याची से करार की जरूरत नहीं है.


कोर्ट ने कहा कि बैनामा निरस्त करने के लिए कोई वाद लंबित नहीं है. ऐसे में याची की आपत्ति सुनकर नियमानुसार कार्रवाई की जाए.