मोहम्मद गुफरान/प्रयागराज: दहेज उत्पीड़न के फर्जी मामलों से पीड़ित लोगों के लिए हाईकोर्ट से राहत भरी खबर आई है. दहेज अधिनियम के तहत मामला दर्ज होते ही आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस धरपकड़ शुरू कर देती थी. जांच के दौरान मामला भले ही फर्जी पाया जाए, लेकिन उससे पहले सभी आरोपी सलाखों के पीछे होते थे. अब हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है. जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दहेज उत्पीड़न में 2 माह तक गिरफ्तारी न करने और परिवार कल्याण समिति के द्वारा विचार करने को कहा है.


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दहेज उत्पीड़न की धारा के दुरुपयोग को देखते हुए महत्वपूर्ण आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दहेज उत्पीड़न की धारा 498 ए के दुरुपयोग को देखते हुए यह महत्वपूर्ण आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि आईपीसी की धारा 498 ए के तहत दर्ज मुकदमे में दो माह तक कोई भी गिरफ्तारी न कि जाए. इस दौरान परिवार कल्याण समिति मामले पर विचार कर अपनी रिपोर्ट दें. जस्टिस राहुल चतुर्वेदी की एकलपीठ ने एक अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह महत्वपूर्ण आदेश दिया है.


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कमेटी के किसी सदस्य को बतौर गवाह नहीं बुलाया जाएगा
हाईकोर्ट ने कहा कि प्राथमिकी दर्ज होने से दो माह तक पुलिस कोई भी उत्पीड़ात्मक कार्रवाई भी न करे. साथ ही दो माह के कूलिंग पीरियड के दौरान पारिवारिक विवाद को सुलझाने का भी प्रयास किया जाए. केस दर्ज होते ही परिवार कल्याण समिति को भेजा जाए. कमेटी विस्तृत रिपोर्ट बनाए और उसे पुलिस व मजिस्ट्रेट को सौंपे. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कमेटी को राहत देते हुए कहा कि मुकदमे में कमेटी के किसी सदस्य को गवाह के तौर पर नहीं बुलाया जाएगा.


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